हलाल सर्टिफिकेट जायज, बैन को नहीं मानते : सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क

यूपी सरकार द्वारा प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट्स के उत्पादन और बिक्री पर बैन लगा दिया गया है. इसको लेकर जगह-जगह छापेमारी चल रही है. इस बीच इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है. योगी सरकार के फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के हालात बिगाड़ने और मुसलमान को परेशान करने के लिए इस तरह की कार्यवाही की जा रही है. लेकिन हम लोग इसको नहीं मानते हैं. 

सपा सांसद ने योगी सरकार की कार्यवाही को लेकर शेर पढ़कर तंज कसा. शफीकुर्रहमान ने कहा- “खुरच खुरच कर मिटाओ न इन निशानों को, हमारे नाम से ही शायद तुम्हारा नाम चले.” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह हमारा मजहबी मामला है और हम हलाल सर्टिफिकेशन दे सकते हैं. यह सर्टिफिकेट उसूलों की बुनियाद पर दिया जा रहा है. इसलिए जमीयत की तरफ से सर्टिफिकेट जारी करना पूरी तरह से जायज है और उसपर अमल होना चाहिए. 

शफीकुर्रहमान बर्क ने आगे कहा कि जहां तक हलाल का सवाल है तो हलाल इस्लाम की पॉलिसी और इस्लाम के उसूलों में है. कुछ ऐसी चीज भी है जिनको मुसलमान नहीं खा सकता है और ना ही इस्तेमाल कर सकता है. जबकि, कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल कर सकते हैं. जिन चीजों को इस्तेमाल नहीं करने के लिए अल्लाह ने हुक्म दिया है वह हमारे लिए हराम है. 

इसलिए अगर जमीयत वाले हलाल और हराम का कोई सर्टिफिकेट जारी करते हैं तो वह पूरी तरह से जायज है. उनके उस सर्टिफिकेट पर अमल होना चाहिए. हम सरकार की बात नहीं मानते. 

वहीं, लखनऊ में दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार हलाल प्रोडक्ट्स की बिक्री से आने वाला पैसा देश विरोधी गतिविधियों में लगाए जाने और सद्भाव बिगाड़ने की साजिश के आरोपों पर भी सपा सांसद ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि इसपर राजनीति हो रही है. क्योंकि, सामने 2024 का इलेक्शन खड़ा है. इसलिए मुसलमान को डराने धमकाने और उनको हैरेस करने के लिए इस तरह की पॉलिसी बनाई जा रही है. लोकसभा चुनाव की वजह से ही इस तरह की चीजें कुरेद-कुरेद कर लाई जा रही हैं.   

इसके अलावा भारतीय खाद्य सुरक्षा कानून में हलाल सर्टिफिकेशन देने का कोई प्रावधान नहीं होने के सवाल पर सपा सांसद बर्क ने कहा कि यह हमारा मजहबी मामला है और मजहबी एतबार से हम यह सर्टिफिकेशन दे सकते हैं. जो लोग यह सर्टिफिकेट दे रहे हैं वो इसे उसूलों की बुनियाद पर दे रहे हैं. तुम्हारे (दूसरे धर्मों) यहां भले ही ये सब चीज ना हो लेकिन मुसलमान तो हर चीज को सोच समझ कर ही इस्तेमाल करेगा कि वह जायज है या नाजायज. 

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