
भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश यूनिट पिछले कई दिनों से सुर्खियों में है. विपक्ष सब कुछ ठीक ना होने का दावा करते हुए तंज कस रहा है. वहीं, अब बीजेपी नेता ने ही यूपी बीजेपी चीफ के इस्तीफे की मांग कर दी है. यूपी सरकार में पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सीनियर लीडर पंडित सुनील भराला (Pandit Sunil Bharala) ने भूपेंद्र चौधरी के इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह मांग रखी है. इस दौरान उन्होंने यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा संगठन के बारे में कही गई बात का भी जिक्र किया.
सुनील भराला ने अपने पोस्ट में केशव प्रसाद मौर्य के द्वारा कही गई बात- “संगठन सरकार से बड़ा होता है” का जिक्र करते हुए कहा, “वैसे ये पंडित दीनदयाल जी भाग 3 पर लिखा है. इस बयान पर मेरी समझ से संगठन की जिम्मेदारी भी बड़ी होती है.
माननीय उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी का आशय यही रहा होगा कि हार की बड़ी जिम्मेदारी संगठन की ही है. इसलिए माननीय प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी को बिना देर किए हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्याग पत्र दे देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी में ऐसी परिपाटी रही है, जहां तत्कालीन अध्यक्षों जैसे कलराज मिश्र, विनय कटिहार आदि ने इस्तीफे दिए थे. संगठन का असली कार्यकर्ता वो ही है, जो अपनी गद्दी से पहले अपने संगठन और पार्टी के बारे में सोचे.
यूपी सरकार में मंत्री दानिश अंसारी ने कहा कि यूपी में उपचुनाव को लेकर बैठक हुई है. सबको जिम्मेदारी मिली है, हम मिलकर लड़ रहे हैं. जो विषय पार्टी आलाकमान के सामने है, वह फैसला करेगा. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, तो हमारे मुद्दों पर कूद रहे हैं.
इसके अलावा दानिश अंसारी ने कहा कि हमने अभी मोहर्रम को अच्छी तरह से संपन्न कराया. इसके साथ आने वाले वक्त में कावड़ यात्रा के लिए सरकार व्यवस्था कर रही है. हर बात पर राजनीति करना सही नहीं है. आज पूरे तरीके से कुशल और भाईचारे के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं. हम यूपी की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. हमारा अल्पसंख्यक भी खुश है और बहुसंख्यक भी, पूरे तालमेल के साथ प्रदेश को आगे ले जा रहे हैं.
वहीं, यूपी बीजेपी की आंतरिक राजनीति पर पार्टी नेता कृपाशंकर सिंह ने कहा, “हार की जिम्मेदारी सामूहिक होती है. लोकसभा चुनाव में मिली हार का ठीकरा पार्टी के जिम्मेदार लोग दूसरों के ऊपर फोड़ना बंद करें. अधिकारियों के यहां कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है. महोत्सव के दौरान शासन प्रशासन खड़ा रहता है और बीजेपी के मंडल अध्यक्षों के आयोजन में बाधा उत्पन्न की जाती है. ये हमारी जिम्मेदारी है कि अधिकारी हमारी सुनें.