अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को लिबरेशन डे बताते हुए कई देशों पर रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया. भारत का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह हम पर 52 फीसदी टैरिफ लगाते हैं लेकिन हम उन पर आधा 26 फीसदी टैरिफ लगाएंगे. लेकिन अब ट्रंप के एग्जिक्यूटिव ऑर्डर का नया एनेक्सर सामने आया है, जिसमें भारत पर 27 फीसदी टैरिफ की बात कही गई है.

ट्रंप ने मीडिया संबोधन के दौरान रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ की जो लिस्ट दिखाई थी. उसमें भारत पर 26 फीसदी टैरिफ को दर्शाया गया था. लेकिन अब सामने आए व्हाइट हाउस के एनेक्सर में भारत पर 26 की जगह 27 फीसदी टैरिफ का पता चला है.

नए टैरिफ रेट के मुताबिक, अमेरिका चीन से 34%, यूरोपीय संघ से 20% जापान से 24% और भारत से 27% टैरिफ वसूलेगा. अगर भारत पर इसके असर को देखें, तो जहां कुछ सेक्टर्स पर दबाव देखने को मिल सकता है, तो वहीं कुछ सेक्टर्स की टैरिफ के बाद भी बल्ले-बल्ले हो सकती है. इनमें खासतौर पर टेक्सटाइल-गारमेंट और फार्मा सेक्टर शामिल हैं, जिन्हें तगड़ा बूम मिल सकता है. 


सबसे पहले बताते हैं कि आखिर क्यों टेक्सटाइल्स समेत कुछ सेक्टर्स को अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के बावजूद फायदा पहुंच सकता है? तो बता दें कि अमेरिका दुनिया के कई देशों के साथ ट्रेड करता है और Trump Tariff को देखें, तो चीन, वियतनाम समेत कई देश ऐसे हैं, जिनपर भारत की तुलना में अधिक टैरिफ लगाया गया है. ऐसे में इन देशों से आयात भारत की तुलना में महंगा होने वाला है और इसका फायदा भारतीय कंपनियों को कारोबार में इजाफे के तौर पर मिल सकता है.


US रेसिप्रोकल टैरिफ के बावजूद भारत के टेक्सटाइल सेक्टर के बड़े अवसर नजर आ रहे हैं. भारतीय कपड़ों का फिलहाल सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका ही है और इस सेक्टर पर टैरिफ का दबाव देखने को मिलेगा, लेकिन आपदा में अवसर वाली कहावत इस सेक्टर में पूरी होती भी नजर आ सकती है. इसे आंकड़ों से समझें, तो 2023-24 में भारत से कुल लगभग 36 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) के कपड़ा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 28 फीसदी या 10 अरब डॉलर (करीब 85,600 करोड़ रुपये) रहा था.

इस सेक्टर में लगातार इजाफा देखने को मिला है. साल 2016-17 और 2017-18 में भारत से कुल कपड़ा निर्यात में अमेरिकी हिस्सा 21 फीसदी से, साल 2019-20 में 25 फीसदी हुआ और 2022-23 में 29 फीसदी तक पहुंच गया था. रिपोर्ट की मानें तो भारत से कालीनों का 58%, अन्य निर्मित वस्त्रों का 50%, लेमिनेटेड वस्त्रों का 44% और बुने व गैर-बुने हुए कपड़ों के निर्यात का करीब 33% हिस्सा अमेरिका का था.


हालांकि, अमेरिका में कपड़ा आयात में भारतीय हिस्सेदारी चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में बेहद कम है. साल 2024 में अमेरिका में कपड़ा आयात में भारत की हिस्सेदारी महज 6 फीसदी थी, जबकि चीन की हिस्सेदारी 21 फीसदी, वियतनाम की 19 फीसदी और बांग्लादेश की हिस्सेदारी 9 फीसदी थी. 


अब बताते हैं कि इस सेक्टर में क्यों भारत के लिए अवसर हैं. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर 34% टैरिफ लगाया है, तो वियतनाम पर 46% और बांग्लादेश पर 37% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. वहीं इसकी तुलना में भारत पर टैरिफ 27 फीसदी है. मतलब भारत पर लगाया गया टैरिफ चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है, जो भारतीय परिधान क्षेत्र के लिए मददगार है.

इसका मतलब ये है कि भारत के कपड़े अमेरिका में दूसरे देशों के मुकाबले सस्ते होंगे, जिससे उनकी बिक्री बढ़ सकती है और इस सेक्टर से जुड़ीं भारतीय कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाकर मोटा मुनाफा कमा सकती हैं और अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकती हैं. इससे टेक्सटाइल इंडस्ट्री को फायदा तो होगा ही, कारोबार बढ़ने पर भारत में इसे सेक्टर में रोजगार के अवसरों में भी इजाफा होगा.  


एक ओर जहां टेक्सटाइल सेक्टर को टैरिफ के बावजूद फायदा मिल सकता है, तो अमेरिका ने भारतीय फार्मा सेक्टर का भी लोहा माना है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि व्हाइट हाउस ने फार्मा प्रोडक्ट्स को इस टैरिफ के दायरे से बाहर रखा है. अमेरिका में खासतौर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं की खासी डिमांड है और आंकड़ों के मुताबिक, भारत अमेरिका को लगभग 9 अरब डॉलर की दवाएं निर्यात करता है. ऐसे में इस सेक्टर में भी संभावनाएं बेशुमार नजर आ रही हैं और भारतीय कारोबार को बूस्ट मिल सकता है.