
ईरान ने इजरायल को करारा जवाब देते हुए 100 से ज्यादा ड्रोन के जरिए अटैक किया है. इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया था. इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम एक्टिव हो गया है. इस बीच आईडीएफ ने ईरान के तीन बड़े सैन्य अधिकारियों को मारने का दावा किया है. आईडीएफ ने पर एक पोस्ट में कहा, ‘अब हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ, ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर और ईरान के इमरजेंसी कमांड के कमांडर 200 से अधिक लड़ाकू विमानों द्वारा ईरान में किए गए इजरायली हमलों में मारे गए. ये तीनों क्रूर सामूहिक हत्यारे थे, जिनके हाथ अंतरराष्ट्रीय खून से रंगे हैं. इनके बिना दुनिया एक बेहतर जगह होगी.’
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायली हमले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘जायोनी शासन ने आज सुबह हमारे प्यारे देश में अपने शैतानी, खून से सने हाथों से एक अपराध किया है. इसने आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाकर अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को पहले से भी अधिक उजागर किया है. इस अपराध के साथ, जायोनी शासन ने अपने लिए एक कड़वी, दर्दनाक नियति तैयार कर ली है, जिसे उसे निश्चित रूप से देखना होगा. दुश्मन के हमलों में कई कमांडर और वैज्ञानिक शहीद हो गए हैं. ईश्वर की इच्छा से उनके उत्तराधिकारी और सहकर्मी बिना देरी किए अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे. उस जायोनी शासन को कड़ी सजा की उम्मीद करनी चाहिए. ईश्वर की कृपा से, इस्लामी गणराज्य की सशस्त्र सेना उन्हें सजा दिए बिना नहीं छोड़ेगी.’
इजरायल में भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए सेफ्टी एडवाइजरी जारी की है. भारतीय दूतावास ने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘क्षेत्र में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, इजरायल में सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और इजरायली अधिकारियों और होम फ्रंट कमांड द्वारा बताए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है. कृपया सावधानी बरतें, देश के भीतर अनावश्यक यात्रा से बचें और सेफ्टी बंकर्स के नजदीक रहें.’
इजराइल ने आज (शुक्रवार, 13 जून 2025) तड़के ईरान पर हमला करने की पुष्टि की है. यह हमला दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का सबसे बड़ा और सीधा कदम माना जा रहा है. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह एक खास सैन्य अभियान है, जिसका मकसद ईरान से होने वाले खतरे को रोकना है. उन्होंने कहा, “जब तक खतरा खत्म नहीं होता, हमारा अभियान चलता रहेगा.” अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने साफ किया है कि अमेरिका इस कार्रवाई का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता सिर्फ अपने सैनिकों की सुरक्षा है.”