केरल में रविवार को एक शख्स की निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद मौत हो गई. मरीज की उम्र 24 साल थी. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने इस मरीज की मौत की जानकारी दी. उन्होंने कहा, मलप्पुरम के एक निजी अस्पताल में निपाह वायरस से संक्रमित युवक की मौत हो गई.


केरल में निपाह वायरस पांव पसार रहा है. केरल में निपाह का कहर 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड जिले में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह का प्रकोप देखा गया था. कोझिकोड, वायनाड, इडुक्की, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में चमगादड़ों में निपाह वायरस एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता एक रिसर्च से चला था. अब ऐसे में आपको निपाह वायरस से जुड़ी हर बात जानना जरूरी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है. यानी ये जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है. कई बार ये खाने-पीने के जरिए और इंसान से इंसान में भी फैल सकता है. निपाह का सबसे पहला मामला 1999 में मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह में सामने आया था. इसी कारण इस वायरस का नाम निपाह रखा गया है.

कई वायरस की तरह ही निपाह का सोर्स भी जानवर को ही माना जाता है. माना जाता है कि चमगादड़ के जरिए ये वायरस इंसानों तक फैलता है. हालांकि, ऐसा भी मानना है कि ये सुअर, कुत्ते, बिल्ली, घोड़े और संभवतः भेड़ से भी फैल सकता है.

अगर निपाह वायरस से कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया है तो वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है. मतलब, एक की वजह से दूसरे लोग भी संक्रमित हो सकते हैं.

निपाह वायरस को कम संक्रामक लेकिन ज्यादा घातक माना जाता है. इसका मतलब हुआ कि इससे संक्रमित तो कम लोग हो सकते हैं, लेकिन मृत्यु दर ज्यादा होती है. केरल में जब एक बार निपाह वायरस फैला था तो इसकी मृत्यु दर 45 से 70 फीसदी तक थी. इतना ही नहीं, अगर किसी शख्स की निपाह वायरस से मौत हुई है तो उस परिवार के दूसरे सदस्य भी इससे संक्रमित हो सकते हैं. ऐसे में निपाह संक्रमित व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते समय खास सावधानी बरतनी जरूरी होती है.

अगर कोई भी शख्स निपाह वायरस से संक्रमित होगा तो उसमें तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ,गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे. वहीं अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है. 

निपाह वायरस के लक्षण किसी भी इंसान में 5 से 14 दिन के भीतर दिख सकते हैं. लेकिन कुछ मामलों में ये 45 दिनों तक खिंच सकता है. ये वायरस से जुड़ा सबसे खतरनाक पहलू है क्योंकि आपको पता भी नहीं चलेगा और आप कई दूसरे लोगों को इस वायरस से संक्रमित कर देंगे. कुछ मामले ऐसे भी हो सकते हैं जहां पर व्यक्ति निपाह से संक्रमित हो, लेकिन उसमें कोई लक्षण दिखाई ना पड़े.


निपाह का पहला मामला 1999 में देखने को मिला था लेकिन अबतक ना तो उसके इलाज की कोई दवा है ना उसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन. अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं, मास्क लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें. वहीं अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क साधें.