
अमरोहा। भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर 23 जनवरी 25 को आहूत अमरोहा कलेक्ट्रेट में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि एमएसपी तय करने के लिए किसान आय और कल्याण आयोग (कमीशन फॉर फार्मर्स इन्कम एंड वेलफेयर) के नाम से अलग से एक आयोग बनाया जाना चाहिए और उसे दायित्व देना चाहिए कि वह किसानों के लिए न्यूनतम 18 हज़ार रुपये प्रतिमाह की आय सुनिश्चित करें।
भाकियू संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष नरेश चौधरी ने गुरुवार को कहा कि जिस देश की 52 फीसदी आबादी सीधे या अपरोक्ष रूप से खेती बाड़ी से जुड़ी है,खेती-बाड़ी को देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा बता बजट पेश करने से पहले यशोगान करते हुए सरकारों द्वारा किसानों की आज़ादी का संकल्प लिया जाता हो, उसके बावजूद भी खेती-किसानी गांव देहातों को हाशिए पर धकेलने का सिलसिला जारी हैं, इससे यही पता चलता है कि सत्ता के गलियारों में बैठे नौकरशाह आजतक किसानों की समस्याओं को समझ नहीं पाए हैं या जानबूझकर अनभिज्ञ बने हुए हैं।

केंद्र में 2014 की भाजपा सरकार में बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी पांच प्राथमिकताओं में कृषि आय में वृद्धि को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया था और अब ग्यारह साल बाद भी 2025 के बजट में कृषि आय सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। यदि यह सही है तो जिस तरह 8वें वेतन आयोग को लागू किया गया है उस हिसाब से वही सरकार कृषि आय बढ़ाकर 40 हज़ार रुपये प्रतिमाह करने के लिए फिटनेस फैक्टर लागू करेंगी? नरेश चौधरी ने भारत सरकार मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी से आह्वान किया है कि आने वाले बजट में 8वें वेतन आयोग की तर्ज़ पर आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता वाले सारे किसानों के लिए न्यूनतम आय 18 हज़ार रुपये प्रतिमाह की आय हेतु प्रावधान करने का उपाय लागू करें। उन्होंने कहा कि खेती-बाड़ी पेशा नहीं है बल्कि एक जीवनशैली है,संस्कृति है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत में खेती और गांव देहात का हाल जानने के लिए ग्रामीण एवं कृषि अध्ययन नेटवर्क (एनआरएएस)किसी काम का नहीं है।फसल बीमा योजना सबसे बड़ा घोटाला है। आरोप है कि फसल बर्बाद होने पर हेल्पलाइन नंबर 14447 पर पीड़ित किसान कोआर रटा रटाया जवाब मिलता है कि अभी केलकुलेशन चल रही है।
किसानों की प्रमुख मांगों में से 8वें वेतन आयोग बनाम एमएसपी के मुद्दे पर कृषि आय तय करने के संबंध में वित्त मंत्री से मांगें, केंद्र सरकार से नई कृषि नीति रद्द करने, एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्मार्ट मीटर योजना रद्द करना समेत आदि तमाम मांगों पर महापंचायत में चर्चा हुई। किसान नेता नरेश चौधरी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि दिल्ली के चारों ओर तथा दिल्ली के दिल में हजारों गांव होने के बावजूद वहां के मूल निवासी गांवों के किसी को भी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि आधी दिल्ली गांवों ख़ासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश वासियों से भरी पड़ी है लेकिन चुनाव में कहीं भी पश्चिम उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को तवज्जो नहीं, चुनाव में जिक्र तक नहीं किया जाता।जिस तरह साजिशन मूल दिल्ली के गांवों के अस्तित्व को मिटा दिया गया है ठीक उसी तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश के गांवों का अस्तित्व भी ख़तरे में है। उन्होंने कहा कि जब तक गांव के प्राकृतिक संसाधन, खेती और दूसरे सभी निर्णय स्थानीय योग्य लोगों के हाथ में नहीं होंगे ग्रामीण भारत की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। चुनाव रहित ग्रामीण स्वराज में ही ग्रामीण भारत का हित है।

उन्होंने कहा कि जहां पूर्वांचल के सांसद अपने क्षेत्रों में एम्स, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, स्टेडियम आदि बांट रहे हैं वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधि यहां रामायण बांट रहे हैं।उन्होंने कहा कि खेती और गांव देहात ख़ासतौर से छोटे व सीमांत किसान आज़ हाशिए पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि:-
मेरी प्यास का इल्म समंदर को भी इस क़दर रहा, उनके जितना क़रीब गया वह दामन समेटता रहा।
इस अवसर पर मौजूद रहे विजय वीर सिंह, अरुण सिद्धू, देवेंद्र सिंह, मयंक धारीवाल, चंद्रपाल सिंह, दलजीत सिंह, हरकेश राणा, अभिषेक भुल्लर, कामिल चौधरी, रोहित देवल, शीशपाल सिंह,राहुल सिद्धू, नरेंद्र चौहान, रिंकू सागर, कपिल चौधरी, अली आशु, प्रिंस चौधरी, सैयद हसन इमाम आबादी, पुष्पेंद्र सिंह, मोहम्मद आजम, मास्टर हरज्ञान सिंह, अमित चीमा, इकबाल चौधरी, ओम प्रकाश सिंह, निशांत धारीवाल, विकास चौधरी, समीर चौधरी आदि किसान लोग मौजूद रहे।