बांग्लादेश के दिनाजपुर में 58 वर्षीय हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय की क्रूर हत्या कर दी गई थी. इस पर भारत सरकार ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की निंदा की है. विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार को X (पूर्व ट्विटर) पर इस घटना को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. उन्होंने लिखा, ‘हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता श्री भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या को व्यथित रूप से देखा है. यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न को दोहराने का काम करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी दंड से बचकर घूमते हैं.’

भारत ने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए दो टूक कहा कि बिना किसी बहाने और भेदभाव के सभी अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे. भारत ने बांग्लादेश सरकार को याद दिलाया कि यह उसकी संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों को समान सुरक्षा मुहैया कराए.

बांग्लादेश के दिनाजपुर स्थित बसुदेवपुर गांव में गुरुवार (17 अप्रैल) को 58 वर्षीय हिंदू नेता भाबेश चंद्र रॉय की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी. वह बांग्लादेश पूजा उडजापन परिषद, बिराल इकाई के उपाध्यक्ष थे. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक भाबेश को शाम 4:30 बजे एक कॉल आया. उस समय वह घर पर ही मौजूद थे. उसके 30 मिनट बाद दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार हमलावर उन्हें उनके घर से जबरन उठा ले गए. उन्हें नाराबारी गांव ले जाया गया, जहां निर्दयता से पिटाई की गई. बेहोशी की हालत में घर लाया गया और अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. रॉय को इलाके में हिंदू समुदाय के एक सशक्त स्वर के रूप में जाना जाता था. उनकी हत्या को निशाने पर ली गई हेट क्राइम माना जा रहा है.

भारत ने बांग्लादेश की ओर से पश्चिम बंगाल में कथित चुनावी हिंसा पर की गई टिप्पणी को सिरे से खारिज कर दिया. MEA ने जवाब में कहा कि ढाका को सदाचार का पाठ पढ़ाने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यह प्रतिक्रिया बांग्लादेश सरकार को उसके दोहरे मानदंडों की ओर इशारा करने का स्पष्ट संदेश है.

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी आवृत्ति और क्रूरता बढ़ी है. रिपोर्ट्स के अनुसार 2021 से अब तक हजारों मंदिरों, घरों और दुकानों पर हमले हुए है. बांग्लादेश में अपराधियों की राजनीतिक संरक्षण और जांच की निष्क्रियता इन अपराधों को बढ़ावा देती रही है. भारत लगातार इन घटनाओं को वैश्विक मंचों पर उठाता रहा है.