अमरोहा। ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में सबसे अधिक 30 फीसदी बिजली दरों में उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को लेकर भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बड़े आंदोलन की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश में बिजली की प्रस्तावित दरों में बढ़ोतरी लागू होने से उपभोक्ताओं पर हर माह औसतन 600 रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो किसी भी तरह जायज़ नहीं है। इसको लेकर भाकियू संयुक्त मोर्चा के कार्यकर्ता गांव गांव जाकर जन चौपाल के जरिए किसानों में अलख जगा रहे हैं। क्योंकि गैंहू की फसल का काम अब निबट गया है। इस मुद्दे पर किसान अब आंदोलन खड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं। जनसंपर्क के दौरान लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं हैं। जिससे यह बात साफ़ है कि बिजली के निजीकरण, स्मार्ट मीटर, बिजली दरों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर किसान सरकार के साथ दो-दो हाथ करने के मूड़ में दिखाई दे रहा है।

इस संबंध में किसानों का कहना है कि बिजली विभाग में घाटा दिखाकर अनाप-शनाप दरें बढ़ाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन, पेंशन बंद किया जाए, जिनके नकारापन की वजह लाइन लास हो रहा है। आरोप है कि बिजली का मीटर हो या अन्य उपकरण, बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी के चलते उपकरणों को बाजार रेट से कई गुना ज्यादा पर खरीदा जाता है।यह भी आरोप है कि अदानी पावर तथा टोरेंट आदि अधिकांश कंपनियां गुजरात सूबे से हैं। जिससे उनकी मनमानी पर अंकुश लगाना नामुमकिन है।

कुआं खेड़ा निवासी चौधरी राम कुंवर सिंह का कहना है कि शेर पाला है तो महंगा ही होगा। लोग फिर से लालटेन जला लेंगे आंदोलन में भी शामिल होंगे, परंतु समर्थन फिर भी भाजपा का ही करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह दीगर बात है कि मोदीजी ने पूरे देश में घर-घर स्मार्ट मीटर लगवाने की योजना बनाई है। उससे हालत ऐसे बन चुके हैं कि पहले अंबानी का जियो मोबाइल में रिचार्ज करो, फिर अड़ानी के मीटर में रिचार्ज करो तब कहीं जाकर आएगी बिजली। अमरोहा लोकसभा क्षेत्र के गढ़ ब्लाक के गांव नानपुर निवासी सुभाष एडवोकेट ने कहा कि जय शाह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (आईसीसी) को सम्भाल रहे हैं तो निम्न मध्यमवर्गीय, धर्म को सम्हालें इसमें बुराई क्या है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों ने अतिशय क्रिकेट प्रेम पर तंज कसते हुए कहा कि आज़ स्थिति यह हो गई है, कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मोहम्मद शमी से मुलाकात करने का वक्त है, परन्तु खेत-खलिहानों से जुड़ी मांगों को लेकर मिलने वाले किसानों के लिए वक्त नहीं है। जिससे महसूस होता है कि क्रिकेट में जितने रन बनेंगे तब ही भारत तरक्की करेगा?

विजयवीर सिंह तथा पूर्व प्रधानाचार्य जयपाल सिंह ने कहा कि बिजली की दरों में वृद्धि हो या महंगाई ये कौन सी बला है, बिजली के रेट तो पाकिस्तान में भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश की जनता डीजे बजने से ही खुश है, तो 30 तो क्या सौ गुना रेट बढ़ जाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।उन्हें इस बात की चिंता नहीं बल्कि चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं औरंगजेब क़ब्र से न उठ जाए।

भाकियू संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि कि उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री को मोदी जी का विशेष कृपापात्र माना जाता रहा हैं, इसलिए ऐसी आम धारणा है कि उन्हें ख़ासतौर से बिजली विभाग की हालात सुधारने के लिए यहां भेजा गया है। बिजली दरों में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी का उनका दांव कहीं उल्टा न पड़ जाए। कि प्रदेश में बिजली महंगी होने की चर्चाओं का जोर है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम बिजली वितरण को निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की तैयारी का यह ट्रेलर है। किसान नेता ने सरकार को चेताया कि इस तरह उपभोक्ताओं के साथ धोखा चलने नहीं दिया जाएगा

अरुण सिद्धू , राहुल सिद्धू तथा रामबीर सिंह ने कहा कि किसान की आय दोगुनी और प्रति व्यक्ति आय चौगुनी हो गई हो तो सरकार को बिजली दरों में 30 फीसदी बढ़ोतरी करना चाहिए। सरकार आंकड़े देते हुए दावा कर रही है कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति माह की आय चौगुनी हो गई है तो फिर बिजली दरों में एक हज़ार की बढ़ोत्तरी भी किसान बर्दाश्त कर लेंगे। रामबीर सिंह तिगरिया भूड़ ने कहा कि हिंदू राष्ट्र के लिए अपनी और परिवार की कुर्बानी देनी पड़ेगी तो वह भी सह लेंगे बाकी इन छोटी-छोटी मूल्य वृद्धि पर तनाव का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।