
भारत में नए उभरते कोविड-19 वैरिएंट NB.1.8.1 का एक मामला और LF.7 वैरिएंट के चार मामले सामने आए हैं. ये निष्कर्ष इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) से आए हैं, जो वायरस में जेनेटिक चेंज की निगरानी करता है. स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, आईसीएमआर तथा अन्य प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और स्थिति की समीक्षा की.
केरल में अबतक कुल 430 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं महाराष्ट्र में 209, दिल्ली में 104, यूपी में 15, बंगाल में 12, गुजरात में 83 और कर्नाटक में 47 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं. बता दें कि दिल्ली में एक हफ्ते में 99 मामले सामने आए हैं और इस वजह से एक बार फिर लोगों के बीच करोनावायरस को लेकर डर का माहौल उत्पन्न हो रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना के LF.7 और NB.1.8 सब-वैरिएंट को निगरानी में रखे जाने वाले वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने अब तक इन दोनों वैरिएंट को चिंताजनक नहीं बताया है. लेकिन LF.7 और NB.1.8.1 ही वे वैरिएंट हैं जो कथित तौर पर चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार रहे हैं. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 वैरिएंट का एक मामला सामने आया था, जबकि मई में गुजरात में LF.7 वैरिएंट के चार मामले सामने आए थे. लेकिन भारत में अब भी कोरोना संक्रमण के लिए JN.1 वैरिएंट ही सबसे अधिक जिम्मेदार बना हुआ है. भारत में टेस्ट होने वाले कोविड सैंपल्स में से 53% में JN.1 वैरिएंट ही संक्रमण का कारण है, इसके बाद BA.2 की उपस्थिति 26% तथा अन्य ओमिक्रॉन सब-लीनिएज की उपस्थिति 20% है.
NB.1.8.1 और LF.7 ओमिक्रॉन के ही सब-वैरिएंट हैं जो 2022 तक सक्रिय था. NB.1.8.1, JN.1 वैरिएंट का ही वंशज है, जबकि LF.7 इससे संबंधित एक अन्य सब-वैरिएंट है. ये वैरिएंट वायरस के स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन लेकर आते हैं, जो इसे मनुष्यों में आसानी से फैलने में मदद करते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रारंभिक आकलन एनबी.1.8.1 वैरिएंट को स्वास्थ्य के लिए कम जोखिम वाला मानता है. हालांकि, इसके स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन – A435S, V445H और T478I- अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक हैं और इम्युनिटी को बायपास करने क्षमता का रखते हैं. दुनिया भर में, NB.1.8.1 का पता एशिया, अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया सहित 20 से अधिक देशों में लगाया गया है.
ये दोनों वैरिएंट अधिक संक्रामक हैं, लेकिन अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये पिछले ओमिक्रॉन स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा गंभीर बीमारी या अधिक मृत्यु दर का कारण बनते हैं. NB.1.8.1 और LF.7 से संक्रमित मरीजों में लक्षण हल्के ही देखे गए हैं, जो सामान्य सर्दी या हल्के फ्लू के समान होते हैं. दूसरी ओर, वायरस के खिलाफ कोविड वैक्सीन अब भी लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहा है. कोविड वैक्सीन लगवाने वाले इन दोनों वैरिएंट से संक्रमित होने के बावजूद गंभीर बीमारी का सामना करने से बच सकते हैं. इसलिए अगर आपने अब तक वक्सीनेशन नहीं कराया है, तो तुरंत करा लें.
खुद को कैसे सुरक्षित रखें?
-कोविड-19 टीकाकरण और बूस्टर शॉट्स के बारे में अपडेट रहें
-भीड़भाड़ वाली या बंद जगहों पर मास्क पहनें
-हाथों को साफ रखें, सैनिटाइजर और साबुन का प्रयोग करें
-लक्षणों पर नजर रखें और अगर आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो जांच करवाएं
-स्थानीय स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों और सलाहों का पालन करें