अमरोहा। भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र में कल्याणकारी राज्य वेलफेयर स्टेट की अवधारणा की कल्पना की गई है ‌। इसमें सरकार को घाटा या मुनाफा देखकर निजीकरण नहीं कर सकती हैं। बिजली दरों में वृद्धि व निजीकरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।किसान इसका डटकर विरोध करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के बैनर तले महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को एक ज्ञापन जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स के माध्यम से सौंपा गया।
इस अवसर पर भाकियू संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि जिस तरह बिजली विभाग में घाटा दिखाकर सरकार की मंशा निजीकरण करने की है, तो क्या पुलिस विभाग सरकार को मुनाफा कमाकर देता है, तो पीडब्ल्यूडी विभाग समेत अन्य कई विभागों को भी निजी क्षेत्र में सौप दिया जाएगा।बिजली निजीकरण अत्यंत व्यवहारिक समस्या है, इसको लेकर जनमत संग्रह कराया जाए,गांव गांव चौपाल लगाकर लोगों की राय ली जाए। भाकियू नेता ने सवाल किया कि किसानों की आय दोगुनी कर दी गई, चीनी मिलों पर करोड़ों रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान बकाया है उसके ब्याज को कौन खा रहा है। वहीं पांच किलो राशन पर निर्भर लाखों परिवार हजार-पांच सौ रुपये बिजली बिल क्या चुका पाएगा। कहा कि पावर कारपोरेशन आदि संस्थानों का निजिकरण संवैधानिक मूल्यों की हत्या है। निजीकरण एक दीमक है जो सरकारी संस्थाओं को धीरे-धीरे चट करता जा रहा है। निजिकरण हर समस्या का निदान नहीं हो सकता। घाटा कम करिए कोई विरोध नहीं करेगा लेकिन अधिकारियों, बड़े सहाब यानी इंजिनियर्स द्वारा बिजली उपकरणों आदि की खरीद-फरोख्त में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर घाटा कम करिए न कि निजीकरण से।

राष्ट्रीय सचिव अरुण सिद्धू तथा जिलाधधक्ष राहुल सिद्धू ने अपने बयान में कहा कि आज़ धरती का रक्षा कवच दरक रहा है । धरती की हरारत बुखार में तब्दील हो रही है। मंहगाई की मार झेल रहे प्रदेश के लोगों को 4.27 फीसदी बिजली महंगी कर सरकार झटका देने की तैयारी कर रही है। 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं से 300 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमाने का नजरिया कहीं से कहीं तक जायज नहीं ठहराया जा सकता।कंपनी सस्ती बिजली खरीदकर महंगी दरों पर बेचकर लोगों की जेबों पर डांका डाले,निजिकरण के कारण लगभग आठ सौ करोड़ रुपये सालाना कमा रही है जबकि सरकार को एक हज़ार सालाना का नुक़सान उठाना पड़ रहा है। सरकार ने किसानों की आय दोगुनी और मुफ़्त बिजली देने का वायदा किया था लेकिन सरकार अपने वायदे पर खरी नहीं उतरी। सरकार ने वाहवाही के लिए घोषणाएं तो खूब की लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।एक तरफ तेज़ी से देश में बेरोजगारी, गरीबी भूखमरी और कर्ज़ बढ़ता जा रहा है ऐसे में किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत मजदूरी में खप रहा है ऐसे में निजीकरण से कंपनियों की तिजोरियों को भरने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।आज़ किसानों की कहीं कोई सुनने वाला कोई नहीं, गन्ना किसानों के करोड़ों रुपये चीनी मिलों पर बकाया हैं। और उसका ब्याज खाया जा रहा है।

ज्ञापन देने के मौके पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजयवीर सिंह सचिव सीपी सिंह,छोटू भाटी,महकार सिंह, नरेन्द्र चौहान, आरिफ़ चौधरी, चौधरी चरण सिंह, इक़बाल सैफी आदि किसान मौजूद थे।