कानपुर में चल रहे DM Vs CMO विवाद में आखिरकार मुख्य चिकित्साधिकारी पर गाज गिर ही गई. शासन स्तर से सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया गया है. उनकी जगह श्रावस्ती के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाकर भेजा गया है. डॉ हरिदत्त नेमी को कानपुर से ना हटाने की पैरवी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से लेकर भाजपा के कई विधायकों ने की थी.

 डॉ. हरिदत्त नेमी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष और कानपुर के वरिष्ठ नेता सतीश महाना ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर बताया था कि डॉ. नेमी का जनता के प्रति व्यवहार बेहद सहज और कार्यशैली सराहनीय है. उन्होंने आग्रह किया कि जनता की भावना को देखते हुए उन्हें कानपुर में ही बनाए रखा जाए. सिर्फ महाना ही नहीं, एमएलसी अरुण पाठक और गोविंदनगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने भी सीएमओ के पक्ष में डिप्टी सीएम को पत्र भेजा था. इन नेताओं ने लिखा कि डॉ. नेमी सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू कर रहे हैं और जनप्रतिनिधियों से उनका व्यवहार सदैव सम्मानजनक रहा है.

हालांकि बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजे पत्र में साफ-साफ कहा कि डॉ. हरिदत्त नेमी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन्होंने डीएम के खिलाफ ऑडियो वायरल कर माहौल को बिगाड़ा है और उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए. सांगा ने यह भी आरोप लगाया कि सीएमओ डॉक्टरों और स्टाफ के साथ अभद्रता करते हैं, आदेशों की अवहेलना करते हैं और तबादलों में मनमानी करते हैं.

सचिव रितु महेश्वरी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई. जिला स्वास्थ्य समिति एवं संबंधित अधिकारियों की स्वीकृति के बिना नियुक्ति पत्र जारी किए गए, जो नियमों का उल्लंघन है. आदेश में कहा गया है कि उक्त कार्यवाही अधीनस्थ चिकित्सा संवर्ग (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के नियम-4(1) के अंतर्गत की गई है. अब डॉ. नेमी का मुख्यालय महोबा मंडलीय संयुक्त चिकित्सालय नियत किया गया है.

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह और सीएमओ के बीच चल रहे विवाद के दौरान सीएमओ ने पिछले एक दो दिन से अपनी तबीयत ठीक ना होने की बात कह कर ऑफिस नहीं आ रहे थे. वहीं  डॉ. नेमी ने मंगलवार को कुछ पत्रकारों को फोन और संदेश भेजकर बुधवार सुबह 10 बजे एक प्रेसवार्ता आयोजित करने की जानकारी दी थी. लेकिन बुधवार को कार्यक्रम से करीब आधा घंटा पहले उन्होंने प्रेसवार्ता रद्द करने की सूचना दी और इसकी वजह अपनी तबीयत खराब होना बताई. वहीं सीएमओ कार्यलय में उनकी कुर्सी पर लगी भगवा तौलिया भी चर्चा में आ गई थी. क्योंकि ठीक ऐसी तौलिया मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी देखी जाती है. 

जिलाधिकारी और सीएमओ के बीच पूरा विवाद एक ऑडियो वायरल होने के बाद हुआ था. वायरल ऑडियो में एक व्यक्ति कथित तौर पर डीएम पर टिप्पणी करता है. वो कहता है कि 75 जिलों में ऐसा कोई डीएम नहीं देखा जो इस तरह बात करता हो. दूसरे ऑडियो में वही व्यक्ति कुछ लोगों से पैसों की व्यवस्था को लेकर बात करता सुनाई देता है. वह कहता है कि हर महीने की आमदनी निकालनी है, कोई तरीका बताओ. CMO ने इन ऑडियो में अपनी आवाज होने से साफ इनकार किया है. उनका कहना है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है और इस तरह की तकनीक से किसी को भी फंसाया जा सकता है.

बीते शनिवार को नवीन सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में जिलाधिकारी ने जब डॉ. हरिदत्त नेमी से ऑडियो क्लिप्स के बारे में जवाब मांगा, तो उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और दावा किया कि यह आवाज उनकी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑडियो संभवतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके. डीएम ने सीएमओ से कहा कि यदि वे निर्दोष हैं, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज कराई जाए. लेकिन जब संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो डीएम ने उन्हें बैठक से बाहर जाने को कह दिया.