गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अलग अलग क्षेत्रों के दिग्गजों को पद्म पुरस्कार देने का ऐलान किया गया. उत्तर प्रदेश के बाबू राम यादव का नाम भी इस बार सम्मानित होने वालों की लिस्ट में शामिल है.  मुरादाबाद जिले में रहने वाले बाबू राम यादव को कला और शिल्प क्षेत्र में योगदान देखते हुए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बाबू राम यादव एक पीतल शिल्पकार हैं और पिछले छह दशकों से वह पारंपरिक तरीकों से पीतल की कलाकृतियां बना रहे हैं. मुरादाबाद के पीतल का पूरी दुनिया में मशहूर है और बाबू यादव ने शहर की पारंपरिक कला विरासत को बचाए रखा. पीतल के बर्तनों और दूसरे सामानों पर वह कारीगरी करते हैं जिसकी पहचान देश ही नहीं विदेशों तक होती है.

बाबू राम यादव यूपी के मुरादाबाद जिले के रहने वाले है. उनकी उम्र 74 वर्ष है और पिछले 5 दशक से वह पीतल पर कारीगरी का काम कर रहे हैं. उन्होंने साल 1962 में पीतल पर कारीगरी का कौशल सीखना शुरू किया था, जिसके बाद में उन्होंने इसे अपना पेशा बना लिया. बाबू राम  बर्तनों पर जटिल कलाकृतियां बनाने में माहिर हैं. उनकी कलाकृतियों में सुंदर फूलों से लेकर कई बार भारत की लोककलाओं के भी दर्शन होते हैं.

शिल्पकार बाबू राम यादव ने दुनियाभर में अब तक तकरीबन 40 प्रदर्शनियों में अपने काम को दर्शाया है. पीतल शीलकार के कौशल को बचाए रखने के लिए बाबू राम फिलहाल मुरादाबाद में एक कार्यशाला चलाते हैं, जहां वह 1000 से अधिक कारीगरों को मुफ्त ट्रेनिंग देते है. ऐसा करने के पीछे बाबू राम का मकसद शिल्प कला को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना है.  

राम यादव की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो वह सामान्य परिवार से आते हैं. उनकी पत्नी का नाम मुन्नी यादव है, जो एक गृहिणी हैं. उनके तीन बेटे हैं, जिसमें से एक बेटा स्कूल में शिक्षक है.

बाबू राम यादव के पिता का नाम भुगन लाल यादव है और उनके गुरु का नाम अमर सिंह है, जिन्होंने उन्हें शिल्पकारी की कला सिखाई.