साल 2023 इतिहास का सबसे गर्म साल था. इस साल ये रिकॉर्ड टूट सकता है. साल 2024 सबसे ज्यादा गर्म साल का नया रिकॉर्ड बना सकता है. पिछले साल धरती वैज्ञानिकों की गणना से भी 0.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म थी. नासा के क्लाइमेटोलॉजिस्ट गैविन श्मिट कहते हैं पिछले साल ने वैज्ञानिकों को हैरान किया. हमें इस साल भी यही उम्मीद है. 

गैविन ने बताया कि दुनिया में 40 साल से मौसमी बदलावों पर स्टडी की जा रही है. सैटेलाइट डेटा मिल रहे हैं. इन चार दशकों के इतिहास में वैज्ञानिकों को तापमान ने जो धोखा दिया है, वो कभी नहीं हुआ. पिछले साल की सारी गणनाएं फेल हो गईं. 2023 का हर महीना रिकॉर्डतोड़ गर्म था. पारा नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा था.

गैविन ने बताया कि इसके पीछे El Nino इफेक्ट था. अब स्थिति ये है कि हम गर्मी और तापमान के एक अज्ञात क्षेत्र में पहुंच गए हैं. हमें नहीं पता कि अगला तापमान कितना बढ़ेगा. या घटेगा. चार साल में ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिन्होंने धरती के तापमान को बढ़ाया है.. जैसे 2020 में सतह को ठंडा करने वाले एयरोसोल्स की मात्रा में कमी आई है. 

2022 में हुंगा-टोंगा ज्वालामुखी फटने की वजह से गर्मी पकड़ने वाले भाप की मात्रा बढ़ी. इसके बाद 2023 में अल-नीनो का आना. सूरज का गर्म होना. इस समय वह सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले सोलर साइकिल में चल रहा है. इसकी वजह से बाढ़, सूखा, जंगली आग, तूफान आदि आ रहे हैं.

अल नीनो असल में ENSO क्लाइमेट साइकिल का हिस्सा है. यह भूमध्य रेखा (Equator Line) पर पूर्व की दिशा में चलने वाली गर्म हवाएं होती हैं. जो प्रशांत महासागर की सतह को गर्म करती हैं. यह गर्म पानी फिर अमेरिका से एशिया की तरफ बढ़ता है. जैसे-जैसे गर्म पानी तेजी से आगे बढ़ता है, गर्मी बढ़ती जाती है. उसकी जगह नीचे से ठंडा पानी आ जाता है. फिर वो गर्म होकर आगे बढ़ता है. 

अल-नीनो का हीट मैकेनिज्म यानी गर्मी बढ़ने की प्रक्रिया पूरी दुनिया के मौसम को बदलती है. इसकी वजह से समुद्री सतह का तापमान बढ़ता है. इसकी वजह से वायुमंडलीय तापमान बढ़ता है. समंदर अपनी गर्मी वायुमंडल में रिलीज करता है. इसकी वजह से मौसम बदलता है. जिससे चरम मौसमी आपदाएं आती हैं. वो भी अचानक. 

अभी जो अल-नीनो चल रहा है उसकी शुरूआत 2023 में हुई थी. यह इस साल अपने अधिकतम स्तर पर रहेगा. इसलिए पूरी दुनिया में भयानक गर्मी पड़ेगी. अल-नीनो का साथ दे रहा है इंसानों द्वारा पैदा की जा रही कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैस. जो जलवायु परिवर्तन और तापमान बढ़ाने में मदद कर रही हैं. 

इस साल की गर्मी को लेकर जो भविष्यवाणियां हैं, वो बेहद डरावनी हैं. क्लाइमेट मॉडल इस बात की आशंका जता चुके हैं कि ये साल इतिहास का सबसे ज्यादा गर्म साल होने वाला है. अल-नीनो ही वजह है. साथ में इंसानों द्वारा पैदा की जा रही गर्मी. ये तापमान प्री-इंडस्ट्रियल काल से 1.5 डिग्री ज्यादा की तरफ बढ़ रहा है. ये तापमान कई देशों के मौसम, इकोसिस्टम और इंसानी समाज को बदल देगा. चरम मौसमी आपदाएं आएंगी.

भारत का मौसम सबसे ज्यादा मॉनसून से प्रभावित होता है. उसके हिसाब से बदलता है. अल-नीनो की वजह से इस बार भारत के मौसम पर बड़ा असर पड़ेगा. अल-नीनो से मॉनसून कमजोर होता है. जबकि मौसम विभाग ने कहा है कि यह सामान्य से थोड़ा बेहतर रहेगा. लेकिन अल-नीनो की प्रक्रिया माने तो बारिश कम और सूखे की नौबत आती है. इसका असर खेती-बाड़ी पर होगा. जलस्रोतों पर होगा. इससे पूरे देश की इकोनॉमी पर असर पड़ेगा. इसलिए इसके असर को समझते हुए अभी से सरकार और लोगों को प्लानिंग करनी चाहिए. नहीं तो गर्मी हालत खराब कर देगी.