तीसरी बार बनी एनडीए सरकार में मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो गया है. गठबंधन के दबाव के बावजूद सरकार के अहम मंत्रालयों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सरकार के चार सबसे ताकतवर मंत्रालय बीजेपी के पास ही हैं.

गृह मंत्रालय अमित शाह के पास ही रहेगा. राजनाथ सिंह को फिर एक बार रक्षा मंत्री बनाया गया है. विदेश मंत्रालय का जिम्मा एस. जयशंकर को ही सौंपा गया है. जबकि, वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दोबारा निर्मला सीतारमण को दी गई है.

गृह, रक्षा, विदेश और वित्त… ये चारों मंत्रालय सरकार में सबसे ताकतवर माने जाते हैं. यही चारों मंत्रालय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी सीसीएस का हिस्सा भी होते हैं. सुरक्षा से जुड़े मामलों में फैसला लेने वाली यही सर्वोच्च समिति होती है. इस कमेटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं.

इन चारों मंत्रालयों को बीजेपी ने न सिर्फ अपने पास रखा है, बल्कि इनके मुखिया भी वही हैं जो मोदी 2.0 में थे. ऐसे में जानते हैं कि ये चारों मंत्रालय कितने ताकतवर होते हैं?

  1. गृह मंत्रालय

अमित शाह गृह मंत्री होंगे. नित्यानंद राय और बंदी संजय कुमार गृह राज्यमंत्री बनाए गए हैं.

2024-25 के लिए गृह मंत्रालय के लिए 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट रखा गया है. कुल बजट का 4% से ज्यादा गृह मंत्रालय को मिलता है.

आंतरिक सुरक्षा विभाग, गृह विभाग, सीमा सुरक्षा विभाग, राजभाषा विभाग, राज्य और केंद्र संबंध और जम्मू-कश्मीर से जुड़े मामले गृह मंत्रालय संभालता है. प्रधानमंत्री अगर विदेश में होते हैं तो गृह मंत्री कैबिनेट मीटिंग बुला सकते हैं और फैसले ले सकते हैं. बॉर्डर पर बाड़ेबंदी करना हो तो वो काम भी गृह मंत्रालय ही करता है. पैरामिलिट्री फोर्सेस की तैनाती भी गृह मंत्रालय से होती है. आतंकवाद से जुड़े मामले भी यही मंत्रालय देखता है. अगर दो राज्यों के बीच या केंद्र और राज्य के बीच कोई विवाद है तो गृह मंत्रालय की देखरेख में ही उसे निपटाया जाता है.

  1. रक्षा मंत्रालय

राजनाथ सिंह फिर से रक्षा मंत्री बनाए गए हैं. बीजेपी सांसद संजय सेठ को राज्य मंत्री बनाया गया है.

रक्षा मंत्रालय का बजट 6.21 लाख करोड़ रुपये का है. कुल बजट का साढ़े 12 फीसदी रक्षा मंत्रालय के पास है.

आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय संभालता है, लेकिन बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. देश की तीनों सेनाएं, उनके प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का मुख्यालय रक्षा मंत्रालय के अधीन आता है. दूसरे देशों के साथ सैन्याभ्यास, सुरक्षा और तकनीकी साझा करने का फैसला रक्षा मंत्रालय करता है. हथियारों की खरीद-फरोख्त भी रक्षा मंत्रालय ही करता है. रक्षा मंत्रालय सेना से रिटायर हो चुके सैनिकों के स्वास्थ्य और पेंशन का काम भी संभालता है. 2024-25 में रक्षा मंत्रालय 1.41 लाख रुपये पेंशन पर खर्च करेगा.

  1. विदेश मंत्रालय

राज्यसभा सांसद एस. जयशंकर विदेश मंत्री बनाए गए हैं. बीजेपी सांसद कीर्तिवर्धन सिंह और पबित्रा मार्गेरिटा को राज्य मंत्री बनाया गया है.

2024-25 में विदेश मंत्रालय को 22,154 करोड़ रुपये का फंड मिला है. ये कुल बजट का 0.46 फीसदी है.

दुनियाभर के देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की होती है. विदेश स्तर पर भारत के कानूनी मामले देखने और भारतीय दूतावासों के कामकाज की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की होती है. दूसरे देशों के साथ सीमा, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े समझौतों पर पहला फैसला विदेश मंत्रालय ही लेता है. भारत में कोई विदेशी अपराधी है या फिर विदेश में कोई भारतीय अपराधी है तो उसके प्रत्यर्पण का फैसला भी विदेश मंत्रालय ही करता है.

  1. वित्त मंत्रालय

निर्मला सीतारमण को एक बार फिर वित्त मंत्री बनाया गया है. यूपी की महाराजगंज सीट से बीजेपी सांसद पंकज चौधरी वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री बने हैं.

वित्त मंत्रालय का अपना कोई बजट नहीं होता. 2024-25 में वित्त मंत्रालय ने 47.65 लाख करोड़ रुपये का बजट जारी किया था.

देश की पूरी अर्थव्यवस्था चलाने का काम वित्त मंत्रालय का होता है. सरकार कहां से कमाएगी, कहां खर्च करेगी, ये सबकुछ वित्त मंत्रालय तय करता है. हर मंत्रालय को बजट वित्त मंत्रालय ही जारी करता है. वित्त मंत्रालय के अंदर वित्त आयोग बना है, जो तय करता है कि केंद्र की टैक्स से होने वाली कमाई में से कितना हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा. आरबीआई, सरकारी और प्राइवेट बैंकों पर भी वित्त मंत्रालय का नियंत्रण होता है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी वित्त मंत्रालय के रेवन्यू डिपार्टमेंट के अधीन काम करता है.

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) में यही चारों मंत्रालय होते हैं. प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होते हैं. गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री इस समिति में शामिल होते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कैबिनेट सचिव और रक्षा सचिव भी कमेटी की बैठकों में हिस्सा लेते हैं. कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर यही कमेटी फैसला लेती है. भारत की सुरक्षा से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को भी मंजूरी यही कमेटी देती है.