देशभर में आज ईद-अल-अजहा (बकरीद) मनाई जा रही है. मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक बकरीद को लेकर देशभर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद का त्योहार मनाए जाने की परंपरा है. यह पर्व रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद आता है. 

सुबह से देशभर के मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. मुंबई में सुबह-सुबह लोगों ने ईद-उल-अज़हा के अवसर पर माहिम की मखदूम अली माहिमी मस्जिद में नमाज़ अदा की.

वहीं नोएडा की जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में मस्लिम नमाज अदा करने को उमड़े. इसी तरह की तस्वीरें, दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे तमाम शहरों से आ रही हैं.

बकरीद को लेकर  उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिल रही है. सीएम योगी ने निर्देश दिए हैं कि बकरीद पर कुर्बानी के लिए स्थान पहले ही तय होना चाहिए. इसके अलावा कहीं पर भी कुर्बानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो भी परंपरा रही है उसके अनुसार नमाज एक निर्धारित जगह पर ही हो और सड़कों पर नमाज नहीं होनी चाहिए. 

 नमाज अदा करने के बाद जानवर की कुर्बानी दी जाती है. इसे अल्लाह की राह में एक बड़ी इबादत समझा जाता है. ईद के इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समेत तमाम नेताओं ने बधाई दी है.

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राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा है, ‘ईद-उल-अजहा के अवसर पर, मैं सभी देशवासियों और विदेशों में रहने वाले भारतीयों, विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देती हूँ. यहपवित्र त्योहार त्याग और बलिदान का प्रतीक है। यह प्रेम, भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है। यह त्योहार हमें मानवता की निस्वार्थ सेवा करने के लिए प्रेरित करता है.’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ईद-उल-अज़हा के पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईद-उल-अज़हा का त्योहार सभी को मिल-जुल कर रहने तथा सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान करता है.’

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘सभी मुस्लिम भाईयों और बहनों को बकरीद की मुबारकबाद।?? यह त्योहार आप सभी के जीवन में खुशियां और सौहार्द लेकर आए.’

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ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस दिन इस्लाम धर्म के लोग किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं. इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है. कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकता है. इसके तीन हिस्से किए जाते हैं. पहला हिस्सा गरीबों के लिए होता है. दूसरा हिस्सा दोस्त और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए होता है.