अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में बाढ़ खंड नाले, तालाब, रामनवमीं भूमि, रामलीला मैदान बचाने की जद्दोजहद में सामाजिक कार्यकर्ता सालभर सिस्टम से जूझते रहे।
धनौरा के छोटे- बड़े 19 तालाब जो अब लगभग गुम हो चुके हैं, नगर की जल निकासी के लिए महत्वपूर्ण बाढ़ खंड नाला, गजरौला – चांदपुर स्टेट हाईवे -51 पर स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान व मंदिरों से समृद्ध धर्मनगरी के रूप में विख्यात रही मंडी धनौरा की एक अलग पहचान पूर्व में भले ही रही हो लेकिन फिलहाल नगर का रामलीला मैदान हो या फिर रामनवमी सार्वजनिक भूमि, तालाब हों या नाला, माफियाओं के निशाने पर आ जाने से उनके अस्तित्व पर संकट जरूर आ गया है। सामाजिक धरोहर की नैसर्गिकता को बचाने हेतु क्षेत्रीय भाजपा विधायक व तमाम सामाजिक कार्यकर्ता सालभर तक सिस्टम से जूझते रहे हैं।

इस संबंध में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुधीर त्यागी ने बताया कि राजस्व ग्राम धनोरा में श्रेणी -6 की लगभग पांच हेक्टेयर भूमि पर राजस्व विभाग से हमसाज होकर उक्त सार्वजनिक भूमि के बड़े हिस्से पर रसूखदार भूमाफियाओं द्वारा अवैध निर्माण कराकर कब्जा किया जा रहा है। गौरतलब है कि उक्त भूमि खुले मैदान के रूप में पर्यावरणीय, सांस्कृतिक व धार्मिक तथा नागरिकों के टहलने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इसके अलावा उक्त मैदान पर सामाजिक, सांस्कृतिक धार्मिक, राजनीतिक तथा बालक -बालिकाओं की खेलकूद तैयारियों के कार्यक्रम चलते रहते रहते थे। विडंबना यह है कि उक्त सार्वजनिक भूमि का भूमिधर नहीं होने से प्रत्यक्ष रूप से कोई भी उत्तरदायित्व नहीं सम्भाल रहा है, जिसके कारण नगरपालिका तथा भूमाफियाओं द्वारा मनमाने ढंग से भूमि को खुर्द-बुर्द करने की कोशिशें जारी रहती हैं। श्री त्यागी ने कहा कि उक्त भूमि पर प्राकृतिक तालाब गाटा संख्या -78-130-131 पर स्थित बाढ़ खंड नाला जो कि जल निकासी का एक मात्र स्रोत होने के साथ ही साथ प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के लिहाज से अति आवश्यक नाले को अवैधानिक तरीके से बंद कर तालाब के जलसंचय को रोक दिया गया है।

आरोप है कि गाटा संख्या 132 मि. क्षेत्रफल 2.043 हेक्टेयर भूमि पर अवैध रूप से राष्ट्रीय इंटर कॉलेज बना हुआ है।
श्री त्यागी का आरोप है कि गाटा संख्या 132, क्षेत्रफल 191 में अवैध रूप से दुकानें बनवा कर किराए पर उठा कर राजस्व को भारी क्षति पहुंचाई जा रही है। वहीं भूमि के उत्तर भाग में गाटा संख्या 61 में लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा करके अवैध निर्माण शुरू कर अस्थाई रूप से रोका हुआ है। जबकि दक्षिण पूरब दिशा में गाटा संख्या 144-145 जो कि विवादित संपत्ति है उसको भूमिधरों ने गाटा संख्या 132 मि. क्षेत्रफल 191 पर व्यवसायिक दुकानें बनवा कर अवैध निर्माण कर लिया गया है। सुधीर त्यागी ने कहा कि इस तरह उक्त स्थल को चारों ओर से अवैध निर्माण कर घेरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में समय-समय पर जब उच्च अधिकारियों से शिकायतें की गईं। जिसके परिणामस्वरूप 17 नवंबर 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा गाटा संख्या 134 तथा 135 पर किए जा रहे किसी भी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके उक्त भूमि का क्रय-विक्रय और निर्माण कार्य जारी रहा। जिससे अन्य भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हो गए और उक्त सार्वजनिक भूमि पर कब्ज़ा कर खुर्द-बुर्द किया जाता रहा ।

सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर त्यागी का कहना है है कि राहगीरों के लिए बनाईं गई सड़कों – गलियों, बाढ़ खंड नाले और बहुपयोगी सार्वजनिक मैदान, गुम हो चुके 19 तालाबों, राष्ट्रीय इंटर कॉलेज निर्माण सहित तमाम अवैध कब्जे व अतिक्रमण रातोंरात तो हुए नहीं। कहीं न कहीं इसके लिए सिस्टम जिम्मेदार है। आरोप लगाया कि पहले जहां अतिक्रमण और कब्जे होने दिए जाते हैं और जब आक्रोश या कार्रवाई की मांग मुखर होती है तो इस तरह से कार्रवाई होती है कि अधिकारी पीछा छुड़ाने के लिए संवेदनशीलता बरतने की दुहाई देने लगते हैं। कई बार तो वास्तविक अतिक्रमणकारियों को बचाने और अभियान रोकने के लिए किसी एक हिस्से में ऐसी विवादित कार्रवाई कर देते हैं जिससे आगे कार्रवाई का विचार ही स्थगित कर दिया जाए। आरोप है कि मामले को कानूनी पेचीदगियों में इतना उलझा दिया जाता है कि सामाजिक कार्यकर्ता को भी कदम पीछे खींचने के लिए मज़बूर होना पड़ता है। जिला प्रशासन की जांच पड़ताल चलती रही।स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम त्यागी का आरोप है कि पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई वो धरोहर जिसकी तुलना कभी दिल्ली के रामलीला मैदान से की जाती थी।उसे निहित स्वार्थ वश बाज़ार में तब्दील कर दिया गया है।जिसे लेकर स्थानीय नागरिकों में ख़ासा रोष है।

आरोप है कि गजरौला-चांदपुर स्टेट हाईवे -51 से सटे करोड़ों रुपये मूल्य की सार्वजनिक उपयोग की भूमि गाटा संख्या 134 व 135 रकबा क्रमशः 0.230 हैक्टेयर एवं 0.040 हैक्टेयर यानी कुल रकबा 0.270 हैक्टेयर उक्त भूमि चकबंदी पूर्व 134 व 135 जिनके नंबर 165 व 166 थे वह सी एच 41 में बंजर भूमि में दर्ज थे।बाद में उक्त भूमि कानूनी दांवपेंच में फंसा दी गई। इस संदर्भ में थाना धनौरा में वर्ष 1998 में मुकदमा अपराध संख्या 173/89 धारा 420,467,468 तथा वर्ष 2007 में दर्ज जालसाजी के दो अलग-अलग मुकदमें मु.अ.स. 86/2007 एवं 86-87/2007 धारा 420,467,468 तथा 471 में दर्ज़ किए गए थे।आरोप है कि विवादित भूमि की आड़ में रामलीला मैदान की भूमि के एक हिस्से पर भी अवैध निर्माण हो चुके हैं। महादेव मंदिर से आनन्द धाम सरोवर तथा विवादित भूमि तक मलकपुर मार्ग पर खोखे तथा गनौरा गांव व थाने की ओर जाने वाले रास्ते पर स्थित मैदान पर चांट पकौडी बाजार लगने लगा है।आरोप है कि पिछले काफ़ी समय से बेशकीमती सार्वजनिक भूमि पर ज़मीन गिरोह की गिद्ध नज़र गड़ी हुई थी। भूमि बचाने की जद्दोजहद में लगे मुख्य रूप से घनश्याम त्यागी, प्रेमचंद त्यागी, कपिल चौधरी, धर्मवीर यादव, अतुल त्यागी गुड्डू शर्मा तथा पालिका परिषद सदस्य प्रशांत त्यागी आदि द्वारा क्षेत्रीय विधायक राजीव तरारा से बाढ़ खंड नाला व मैदान बचाने को लेकर बार-बार गुहार लगाई गई तब जाकर भूमाफियाओं की गतिविधियों पर शिकंजा कसा गया।

गौरतलब है कि अमरोहा जिले की धनौरा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दूसरी बार विधायक राजीव तरारा तमाम गड़बड़ियों की शिकायतों के मुद्दे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रमुखता से उठा चुके हैं। वहीं दूसरी ओर गजरौला नगर पालिका परिषद प्रकरण में मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह द्वारा गठित चार सदस्यीय टीम प्रकरण की जांच कर रही है। भाजपा कार्यकर्ता घनश्याम त्यागी ने कहा कि जहां एक ओर रामलीला मैदान अवैध कब्जों से पहले से ही सिकुड़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर नियम-कानून की पेचीदगियों में मामले को फंसाकर रामनवमी भूमि व रामलीला मैदान के किनारे दुकानें बनवाकर बाजार बसाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। आरोप है कि धनौरा नगर में साफ-सफाई न होने की वज़ह से कलाली मार्ग व बाड़ खंड नाले पर बनी आधी-अधूरी पुलिया तथा दोनों ओर की नालियां ओवरफ्लो होकर उनकी गंदगी सड़कों पर बह रही है। जिससे सड़क टूटने के कगार पर है वहीं लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।जिम्मेदारों का ध्यान मैदान, बाढ़ खंड नाले पर अतिक्रमण हटाने पर नहीं कथित सौंदर्यीकरण पर ज्यादा है।
भाजपा विधायक राजीव तरारा ने बताया कि उन्होंने हमेशा सरकार व पार्टी की मंशानुरूप जनहित में कार्य किए हैं। सार्वजनिक भूमि हो तालाब उन पर किसी भी तरह अवैध रूप से कब्जे की कोशिशें कामयाब नही होने दी जाएगी। हाल ही में दूसरी पार्टियों से भाजपा में आए जो लोग पार्टी व सरकार की छवि ख़राब करना चाहते हैं उनको इसकी कतई इजाजत नहीं दी जा सकती है।

गौरतलब है कि अमरोहा नगरपालिका क्षेत्र स्थित विशाल पनवाड़ी तालाब पर भी भवन खड़े कर दिए गए हैं। मंडी धनौरा की तरह अमरोहा जनपद के तालाबों का अस्तित्व भी ख़तरे में है।इसी संदर्भ में जोया रोड़ कलेक्ट्रेट के सामने स्थित रायपुर खुर्द तालाब की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी निधि वत्स गुप्ता द्वारा कुशक, रायपुर खुर्द व राम तालाब समेत अमरोहा के ऐसे तीन तालाबों का परिसीमन कराने की जिम्मेदारी एसडीएम को सौंपी है।