लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली आर्थिक सलाह परिषद की एक नई रिपोर्ट आई है, जिसके नतीजे हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति को और हवा देने वाली साबित हो सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1950 के बाद से हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी कमी आई है. दूसरी तरफ मुसलमानों की आबादी का ग्राफ 43 फीसदी की तेजी से बढ़ा है. इस रिपोर्ट के आते ही राजनीति की नई सीरीज शुरू हो चुकी है..बीजेपी नेताओं की लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.. बीजेपी का आरोप है कि ये सब मुस्लिम तुष्टिकरण वाली नीतियों का नतीजा है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि बेरोजगारी, किसान, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बात होनी चाहिए.

दरअसल, पीएम की इकोनॉमिक काउंसिल की एक स्टडी में 1950 से 2015 के बीच आबादी की स्टडी की गई है. स्टडी के मुताबिक, देश में हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी गिरावट हुई है. जबकि 1950 में अल्पसंख्यकों की आबादी में तुलना में 2015 तक 43.15 फीसदी का इजाफा हुआ है. 1950 में मुस्लिमों की आबादी 9.84 फीसदी थी. 2015 में मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है.

इस रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा- कांग्रेस ने देश को धर्मशाला बना दिया है. ये भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं. गिरिराज का कहना था कि कुछ लोग देश को भ्रमित करना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई छुप नहीं सकती है. 1947 में हिंदू की आबादी लगभग 90 प्रतिशत थी और आज हम 70 प्रतिशत पर आ गए. आज मुसलमान 20 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 8 पर थे. कांग्रेसियों ने देश को धर्मशाला बना दिया है. देश में बांग्लादेशी घुसपैठिए आए. देश में रोहिंग्या को वोटबैंक के लिए ले आए. मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. ये लोग देश को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए, जो लोगों के जीवन से जुड़े हों. बेरोजगारी, किसान, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बात होनी चाहिए. बीजेपी वाले अपने आप से ही मुद्दे निकालते हैं, इसलिए बोलते रहते हैं. ये मुद्दे नहीं हैं.

बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा, चुनाव के बाद इस मुद्दे की समीक्षा होगी. हम लोग तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होने देंगे. मां भारती की संतानों के साथ अब संतुष्टिकरण करेंगे. LJP चीफ चिराग पासवान ने कहा, अगर ऐसा हुआ है तो ये चिंता का विषय है. समावेशी विकास में तो सभी एक साथ आगे बढ़ें. इस पर अध्ययन होना चाहिए.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया और पूछा, यह रिपोर्ट किसने बनाई? व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट पर जवाब नहीं देंगे. 

बिहार में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन 2024 तक नहीं हुई. लोगों में नफरत फैला रहे हैं. लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. 10 साल लोगों को ठगा है और फिर ठगना चाहते हैं.

बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा, इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद से आहत हूं. 8 प्रतिशत हिंदू घट गया? और 40 प्रतिशत मुस्लिम बढ़ गया? पाकिस्तान में विभाजन के समय 23 प्रतिशत हिंदू था तो घट गया? मार दिया गया. निकाल दिया गया. धर्मांतरण हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त की है. इस देश में तत्काल प्रभाव से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए. ये अपरिहार्य है. जब-जब हिंदू घटा तो देश बंटा… उन्होंने आगे कहा, पहले भी मैंने कहा था 4 बीबी, 40 बच्चे इस देश नहीं चलेंगे. अगर मैं 4 बच्चों की अपील करने लगा तो? मेरे खिलाफ केस दर्ज हो गया. मैं ना हिंदू की बात करता हूं, ना मुसलमान की बात करता हूं, मैं देश की बात करता हूं. मोदी जी देश के प्रति समर्पित हैं. राष्ट्र के हित में जो होगा, वो किया जाएगा. जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए.

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, यह चिंता की भी बात है, लेकिन इस समस्या का समाधान करने की भी बात है. इस देश में एक देश एक कानून यानी समान नागरिक संहिता की जरूरत है. देश में एक प्रकार की शिक्षा सबको मिले. एक प्रकार के भविष्य का निर्माण हो. हम दो हमारे दो का उद्घोष दिया गया, लेकिन उसको हिंदुओं ने माना. मुसलमान ने नहीं माना. तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों ने कभी भी इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आधार पर मुसलमान अपना जीवन जिएगा तो निश्चित तौर पर हम पांच, हमारे 25 की जीवन शैली अपनाएगा. जीवन शैली बदलेगी, लेकिन अब समय आ गया है कि समान नागरिक संहिता लागू की जाए.

HAM प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा, जनसंख्या बढ़ाना-घटना पर्सनल मसला है. इसे धर्म को आगे नहीं करना चाहिए. VHP नेता सुरेंद्र जैन ने कहा, तेजी से बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या देश के लिए घातक है. समान जनसंख्या नीति बनना चाहिए.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की स्टडी के मुताबिक, भारत में हिंदू आबादी कम हो गई है. जबकि मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और सिखों समेत अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ गई है. हालांकि, इस अवधि में जैन और पारसियों की संख्या में कमी आई है. 1950 और 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी में 43.15% की बढ़ोतरी हुई है. ईसाइयों में 5.38%, सिखों में 6.58% और बौद्धों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है.

स्टडी के अनुसार, 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84% थी. 2015 तक यह घटकर 78% हो गई है. इसी अवधि में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है. म्यांमार के बाद भारत अपने पड़ोसी देशों में दूसरे नंबर पर है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी में कमी आई है. म्यांमार में 10% और  भारत में 7.8% बहुसंख्यक आबादी घटी है. भारत के अलावा नेपाल में बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू) की आबादी में 3.6% की गिरावट देखी गई.