आईडीएफ ने दावा किया है कि उसने पश्चिमी, पूर्वी और मध्य ईरान में 6 ईरानी सैन्य हवाई अड्डों पर हमला किया. दूर से ऑपरेट किए जाने वाले विमानों ने 15 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स को नष्ट कर दिया है. इजरायल ने दावा किया है कि इसमें F-14, F-5 और AH-1 शामिल हैं, जिससे इजरायल के हवाई हमलों का मुकाबला करने की ईरान की क्षमता और कम हो गई.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रविवार को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका के हालिया हवाई हमलों पर चर्चा करने के लिए बैठक की. ईरान की कॉल पर इमरजेंसी सेशन में वॉशिंगटन और उसके सहयोगियों की तीखी आलोचना की गई, क्योंकि मिडिल ईस्ट में बढ़ते संघर्ष को लेकर कूटनीतिक तनाव गहरा गया है.

कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हवाई हमले करने के डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की आलोचना की और इसे तेहरान के साथ बातचीत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के आह्वान का मजाक बताया.

सोशल मीडिया पर एक बयान में कांग्रेस नेता ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पूरा यकीन है कि ईरान के साथ तत्काल कूटनीति और बातचीत जरूरी है. उन्होंने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा और उस पर नैतिक साहस की कमी का आरोप लगाया.  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने न तो अमेरिकी बमबारी या इजरायल की आक्रामकता, बमबारी और टारगेटेड हत्याओं की आलोचना की है और न ही निंदा की है. सरकार ‘गाजा में फिलिस्तीनियों पर किए जा रहे नरसंहार’ पर भी चुप रही है.

प्रधानमंत्री मोदी और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के बीच बातचीत पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “आश्चर्यजनक और चौंकाने वाली बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री गाजा में निर्दोष नागरिकों पर बमबारी या अन्य देशों में इजरायल द्वारा टारगेटेड हत्याएं या अब ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा हवाई शक्ति का उपयोग करने पर पूरी तरह से चुप हैं. भारत ने हमेशा पश्चिम एशिया में शांति बनाए रखने और रचनात्मक भूमिका निभाई है. भारत इस खित्ते में अपने नैतिक अधिकार का त्याग क्यों कर रहा है? लोग जवाब तलाश रहे हैं. भारत को अपने नैतिक अधिकार का प्रयोग करना चाहिए था, अपने पारंपरिक मित्रों और भागीदारों के साथ खड़ा होना चाहिए था, और यह साफ करना चाहिए था कि सरकार सही वक्त पर सही लहजे में सही लोगों से बात करे.”