
तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली है. सीएम केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने CBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अरविंद केजरीवाल कोअंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हम अभी कोई अंतरिम जमानत नहीं देंगे. मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.
दरअसल, अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति मामले में सीबीआई के जरिए अपने ऊपर दर्ज किए गए केस में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयांन की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर अब अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी. शराब नीति मामले में ही आम आदमी पार्टी (आप) नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को करीब 17 महीने बाद जमानत मिली है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी को ठहराया है वैध
दिल्ली हाई कोर्ट ने पांच अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जिससे यह पता चलता है कि आप नेता किस तरह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके. उच्च न्यायालय ने उनसे सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और सबूत जुटाने के बाद उनके खिलाफ ‘लूप ऑफ एविडेंस’ को बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिना किसी उचित कारण के या अवैध था.
“केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं…”
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसेसे पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के संयोजक हैं. कोर्ट ने कहा था, “गवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है. साथ ही, यह स्थापित करता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उसके खिलाफ सबूतों का चक्र बंद हो गया. प्रतिवादी (सीबीआई) के कृत्यों से किसी भी प्रकार की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है.”