उत्तर प्रदेश के संभल को अब एक ऐसे ‘संवेदनशील क्षेत्र’ में तब्दील कर दिया गया है कि यहां न तो किसी बाहरी की एंट्री होगी, न ही कोई सोशल एक्टिविस्ट और नेता ही यहां जा सकेंगे. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पैंसिया ने ऐलान किया है कि अब ये रोक 10 दिसंबर तक लागू रहेगी. मसलन, मुगल काल में बनी शाही जामा मस्जिद को लेकर शुरू हुए विवाद ने अब शहर को लॉक कर दिया है. इस बीच गाजियाबाद बॉर्डर पर सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और हरेंद्र मलिक को हिंडन इलेवेटेड रोड पर रोक दिया गया है, और उन्हें संभल नहीं जाने दिया जा रहा है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रतिबंध लगाने पर टिप्पणी की है और एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए, तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता.”

उन्होंने कहा, “भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए.”