
अमरोहा। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के जघन्य पत्रकार हत्याकांड के विरोध में भाकियू संयुक्त मोर्चा ने भ्रष्टाचार का पुतला फूंककर विरोध जताते हुए कहा कि भाड़े के हत्यारों से ज्यादा सिस्टम ख़तरनाक हो चुका है। सोमवार को भाकियू संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने औद्योगिक क्षेत्र गज़रौला हाईवे पर भ्रष्टाचार का पुतला फूंका।
किसानों ने विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री योगी से सीतापुर पत्रकार के हत्यारों के एनकाउंटर तथा एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की। साथ ही मृतक आश्रित पत्नी को सरकारी नौकरी की मांग हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में आए दिन आंचलिक पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं, जिनमें कई पत्रकार अपनी जान गंवा चुके हैं। इस तरह की घटनाएं बढ़ने से पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर समाज में चिंता व्याप्त है।

भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने अमरोहा जिले की हसनपुर तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा हल्का लेखपाल की मनमानी हनक का उदाहरण देते हुए कहा कि तहसीन व आजिम नामक की गाटा संख्या 198 ज़मीन की नाप-जोख करे बगैर उल्टा पीड़ित किसान के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज़ करा दिया गया। दूसरा मामला औद्योगिक क्षेत्र गज़रौला थाने की बस्ती जलालनगर मोहल्ला निवासी आरिफ़ का है, जिसमें आरोप लगाया है कि उसकी चार बीघा जमीन को हड़पने के लिए कानून के डर से बेख़ौफ़ दबंगों ने बीती रात में पीड़ित के ऊपर जानलेवा हमला बोल दिया। किसान नेता ने कहा कि इस तरह खेती-किसानी से जुड़ी ज़मीन हो या रिहायशी ज़मीन व्यवस्थागत खामियों व सरकारी योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार के ऐसे मामले जिनकी सुनवाई नहीं हुई किसान चौपाल में ग्रामीणों द्वारा सामने लाए जाते हैं।
तहसीलों में फैले भ्रष्टाचार तथा ज़मीनों में धांधलेबाजी से गांव-गांव में झगड़े फ़साद पनपने से किसान बुरी तरह त्रस्त हैं।ऐसे मामलों को उजागर करने वाले साहसी पत्रकारों की सरेआम हत्या कर लोगों में भय का वातावरण पैदा करने की कोशिश का डटकर मुकाबला किया जाएगा।उन्होंने कहा कि यदि राज और समाज का साथ मिले तो कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने सीतापुर की घटना को निंदनीय बताते हुए कहा कि पत्रकारों के साथ हो रहे जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाया जाए वहीं दूसरी ओर सुरक्षा कानून बनाकर पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित भेजे गए पत्र में कहा गया है कि पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेई के दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई व फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो जिससे शीघ्र सज़ा मिल सके, दिवंगत पत्रकार के परिजनों को सरकार उचित मुआवजा तथा मृतकाश्रित पत्नी को सरकारी नौकरी दिलाई जाए।