प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 140 करोड़ देशवासियों ने जो जनादेश दिया है, उसको ये पचा नहीं पा रहे हैं. कल इनके सारे हथकंडे फेल हो गए. आज इनमें लड़ने का हौसला भी नहीं रहा. मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ है. देश का सेवक हूं. उन्होंने फर्टिलाइजर को लेकर कहा कि वैश्विक संकटों की वजह से कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं लेकिन हमने 12 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया. हमने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक पैसा किसानों तक पहुंचाया. अन्नभंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया और इस दिशा में काम चल पड़ा है. फल और सब्जी की तरफ हम चाहते हैं कि किसान मुड़े और उसके भंडारण की दिशा में हम काम कर रहे हैं. सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर हमने देश की विकास यात्रा को रफ्तार देने की कोशिश की है. आजादी के बाद अनेक दशकों दक जिनको कभी पूछा नहीं गया, हमारी सरकार उनको पूछती तो है, पूजती भी है. दिव्यांग भाई-बहनों के साथ उनकी कठिनाइयों को समझते हुए गरिमापूर्ण जीवन की दिशा में काम किया है. हमारे समाज में किसी न किसी कारण से एक उपेक्षित वर्ग ट्रांसजेंडर वर्ग है. हमारी सरकार ने ट्रांसजेंडर साथियों के लिए कानून बनाने का काम किया है. पश्चिम के लोगों को भी आश्चर्य होता है कि भारत इतना प्रोग्रेसिव है. पद्म अवॉर्ड में भी ट्रांसजेंडर को अवसर देने में हमारी सरकार आगे आई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान राज्यसभा से विपक्ष के सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया. विपक्ष के वॉकआउट की सभापति जगदीप धनखड़ ने भर्त्सना की और कहा कि इससे देश के 140 करोड़ लोग आहत होंगे. आज वो सदन छोड़कर नहीं, मर्यादा छोड़कर गए हैं. ये हमारा और आपका अपमान नहीं, सदन का अपमान है. वह मुझे पीठ दिखाकर नहीं गए हैं, भारत के संविधान को पीठ दिखाकर गए हैं. बहुत दुखी हूं, भारत के संविधान का इतना अपमान, इतना बड़ा मजाक. आशा करता हूं कि वे आत्ममंथन करेंगे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहां कुछ लोग बैठे हैं जो ये कहते हैं कि इसमें क्या है, ये तो होना ही है. ये ऑटो पायलट मोड में सरकार चलाने के आदी हैं, इंतजार करने में विश्वास रखते हैं. हम परिश्रम में विश्वास रखते हैं. आने वाले पांच साल मूल सुविधाओं के सैचुरेशन के हैं. सामान्य मानविकी के लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए जिस प्रकार के गवर्नेंस की जरूरत होती है, हम वह उपलब्ध कराएंगे. आने वाले पांच साल गरीबी के खिलाफ लड़ाई के निर्णायक वर्ष हैं. ये देश गरीबी के खिलाफ लड़ाई में विजयी होकर रहेगा, ये 10 साल के अनुभव के आधार पर बहुत विश्वास के साथ कह रहा हूं. जब देश दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनेगा तो इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ने वाला है. विकास के विस्तार के अनेक अवसर उपलब्ध होने वाले हैं.