
ईरान के सेमनान प्रांत में मौजूद शाहरौद स्पेस सेंटर या यूं कहें कि मिसाइल टेस्टिंग और प्रोडक्शन बेस की मुख्य इमारत इजरायल के एयरस्ट्राइक में खत्म हो चुकी है. ये वही सेंटर है, जहां से अप्रैल और अक्टूबर में ईरान ने सैकड़ों मिसाइलें इजरायल की ओर दागी थीं. इजरायली फाइटर जेट्स ने 2000 km की दूरी तय करके इन बेस को उड़ा दिया.
सैटेलाइट तस्वीरों में शाहरौद सेंटर की बर्बाद मुख्य इमारत साफ-साफ दिखाई दे रही है. इस महीने के शुरूआत में ही शाहरौद स्पेस सेंटर से करीब 200 मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया गया था. ज्यादातर मिसाइलें यहीं से दागी गई थीं. लेकिन अब इस सेंटर को जो नुकसान हुआ है, उसे लेकर ईरान की सरकार या IRGC कुछ नहीं बोल रहे हैं.
इजरायल के हमले से ठीक पहले ईरान को सिर्फ इतना पता चल पाया था कि इजरायली हमला इलम, खुजेस्तान और तेहरान प्रांत में होगा. लेकिन ये आइडिया नहीं था कि इजरायल ग्रामीण सेमनान इलाके में जाकर उनके मिसाइल बेस और स्पेस सेंटर को टारगेट करेगा. इस हमले में ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों का 80 फीसदी सॉलिड फ्यूल खत्म हो चुका है. यानी अब वो इतनी ताकत से हमला नहीं कर सकता है, जैसे पहले कर रहा था.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के मिसाइल एक्सपर्ट फैबियन हिंज कहते हैं कि ये बात स्पष्ट तो दिख रही है कि ईरान को भारी नुकसान हुआ है. लेकिन कितना इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. शाहरौद बेस तेहरान से 370 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में है. यहीं पर इमाम खमैनी स्पेस सेंटर भी है. शाहरौद की सबसे बड़ी इमारत तो इजरायली हवाई हमलें में ध्वस्त हो गई थी. इसके अलावा परचिन मिलिट्री कॉम्प्लेक्स को भी नुकसान हुआ है.
एक बात तो पक्का है क्योंकि अगर सैटेलाइट तस्वीर को कायदे से देखें तो आपको ध्वस्त हुई इमारत के आसपास ऊंचे-ऊंचे मिट्टी के टीले दिखेंगे. यानी इस इमारत में कोई भयानक चीज रखी थी. जिसे कवर किया गया था. यानी अगर कभी कोई धमाका हो तो उसका नुकसान सीधे तौर पर आसपास की इमारतों पर न हो. यानी यहां पर खतरनाक विस्फोटक सामग्री रखी थी.
ये भी संभव है कि यहां पर ईरान की खैबर शेकन बैलिस्टिक मिसाइल या फिर फतह-1 मिसाइल रखी रही हो. क्योंकि ये हाइपरसोनिक स्पीड से हमला करती हैं. ईरान ने इनका इस्तेमाल अप्रैल और अक्टूबर दोनों ही हमलों में किया था. इस सेंटर की सुरक्षा में लगे एयर डिफेंस सिस्टम को भी इजरायली एयरस्ट्राइक ने बर्बाद कर दिया.