हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिल्ली में बने हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश दिए हैं. दिल्ली के मंडी हाउस में स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश एक आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की अनुपालना सुनिश्चित न करने पर जारी हुए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस अजय मोहन गोयल की सिंगल बेंच ने यह आदेश दिया है. 

जस्टिस अजय मोहन गोयल ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड की तरफ से ऊर्जा विभाग के खिलाफ दाखिल की गई अनुपालना याचिका की सुनवाई में यह आदेश दिए. साथ ही हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के एमपीपी और पावर विभाग के प्रमुख सचिव को इस बात की जांच करने के लिए भी कहा है कि किसी विशेष अधिकारी या अधिकारियों की गलती की वजह से 64 करोड़ रुपये की 7 फीसदी ब्याज सहित अवार्ड राशि अदालत में जमा नहीं करवाई गई.

15 दिन में जांच करने के लिए कहा 
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 15 दिन के अंदर जांच पूरी करने के लिए कहा है. साथ ही इसकी रिपोर्ट अगली तारीख को अदालत में पेश करने के लिए भी कहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होनी है. अदालत ने कहा है कि इस पूरे मामले में देशों का पता लगाया जाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि फिर ब्याज को दोषी अधिकारी या अधिकारियों/कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने के आदेश दिए जाएंगे.

क्या है पूरा मामला?
गौर हो कि साल 2009 में सरकार ने कंपनी को 320 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट आवंटित किया था. यह प्रोजेक्ट लाहौल स्पीति में लगाया जाना था. सरकार ने उस समय प्रोजेक्ट लगाने को BRO को सड़क निर्माण का काम दिया था. समझौते के मुताबिक सरकार ने कंपनी को ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवानी थी ताकि कंपनी समय पर प्रोजेक्ट का काम शुरू कर सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 

कंपनी ने साल 2017 में एक रिट याचिका दायर की कंपनी ने कोर्ट को बताया कि सुविधा न मिलने की वजह से कंपनी को प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा और यह प्रोजेक्ट वापस सरकार को दे दिया गया. इस पर सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया. सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने 64 करोड़ के अपफ्रंट प्रीमियम के भुगतान के आदेश जारी किए हैं. राज्य सरकार ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ एलपीए भी तैयार कर दी है.