वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2024) में भारत की आर्थिक विकास दर 5.4 फीसदी पर आई है. सांख्यिकी और क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से ये जीडीपी डेटा जारी किया गया है. इसको अगर पिछले साल के मुकाबले देखा जाए तो वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 8.1 फीसदी पर रही थी. इस लिहाज से इस साल की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के 5.4 फीसदी के आंकड़े ने निराश किया है.

महंगाई दर के उछाल के साथ जीडीपी पर पड़ा असर

रिटेल खाद्य महंगाई दर के उछाल और कॉरपोरेट के नतीजों में गिरावट के चलते जीडीपी का डेटा उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है. रिजर्व बैंक ने भी ग्रोथ के अनुमान को धीमा किया था और इसके पीछे मुख्य कारण महंगाई दर में इजाफा ही है.

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में कैसी थी जीडीपी दर

वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से जून की पहली तिमाही में जीडीपी दर 6.7 फीसदी रही थी जो कि पिछले पांच तिमाही में सबसे कम जीडीपी का आंकड़ा रहा था. आरबीआई ने 9 अक्टूबर को पिछली मौद्रिक समिति की बैठक के एमपीसी ऐलानों में वित्त वर्ष 25 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि यानी रियल जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. 

रियल GVA के लिए क्या है आंकड़ा

इन आंकड़ों के बाद भी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में रियल जीवीए यानी ग्रॉस वैल्यू एडिशन ने 6.2 फीसदी की वृद्धि दर हासिल की है. दूसरी तिमाही में रियल ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (GVA) का डेटा जानें तो ये 5.6 फीसदी पर आया है जो कि इसके पिछले साल की दूसरी तिमाही में 7.7 परसेंट के मुकाबले काफी कम रहा है. नॉमिनल जीवीए ग्रोथ भी घटी है और ये दूसरी तिमाही में 8.1 परसेंट पर दिखी है जो कि इससे पिछले साल की समान तिमाही में 9.3 फीसदी पर रही थी. 

मैन्यूफैक्चरिंग में धीमी ग्रोथ का असर जीडीपी पर दिखा

मैन्यूफैक्चरिंग में धीमी ग्रोथ रही और ये दूसरी तिमाही में 2.2 फीसदी पर आ गिरी है. इसके अलावा माइनिंग सेक्टर में ये निगेटिव में चली गई है. माइनिंग सेक्टर की आर्थिक विकास दर -0.1 फीसदी पर आ गई है.