
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की जामा मस्जिद को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मस्जिद की रंगाई-पुताई तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी की निगरानी में होगी, ताकि मस्जिद के ऐतिहासिक और संरचनात्मक महत्व को कोई नुकसान न पहुंचे. मस्जिद कमिटी की ओर से रंगाई-पुताई और सफाई कराए जाने की मांग की गई थी. मस्जिद कमिटी की मांग थी कि रमजान का महीना शुरू होने से पहले पूरे क्षेत्र को साफ कराया जाए, मस्जिद की पुताई हो.
हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस कमेटी में तीन सदस्य शामिल होंगे, जिनमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का एक विशेषज्ञ होगा, जो यह देखेगा कि मस्जिद की ऐतिहासिक संरचना को किसी तरह की क्षति न हो. वहीं एक वैज्ञानिक भी शामिल होगा, जो रंगाई-पुताई में प्रयुक्त होने वाली सामग्री का विश्लेषण करेगा. इसी के साथ प्रशासन का एक अधिकारी कार्य की निगरानी करेगा.
तीन सदस्यीय कमेटी आज ही मस्जिद परिसर का निरीक्षण करेगी. निरीक्षण के दौरान यह देखा जाएगा कि बिना किसी संरचनात्मक नुकसान के रंगाई-पुताई कैसे की जा सकती है. हाईकोर्ट ने कमेटी को आदेश दिया है कि कल सुबह 10 बजे तक इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए. रिपोर्ट में यह बताया जाएगा कि मस्जिद की रंगाई-पुताई किस तकनीक से की जाएगी? किन रंगों और सामग्रियों का उपयोग होगा? संरचना को बचाने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जाएंगे?
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने यह फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि मस्जिद के मूल ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. कोर्ट ने प्रशासन और संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे इस कार्य को विशेषज्ञों की देखरेख में ही पूरा करें. इस फैसले के बाद प्रशासन और संबंधित विभाग सक्रिय हो गए हैं. संभल जामा मस्जिद की ऐतिहासिकता को देखते हुए हाईकोर्ट ने बेहद संतुलित और सावधानीपूर्वक निर्णय लिया है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहे. अब सबकी निगाहें तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसे कल हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा.