
पादरी बजिंदर को मोहाली के पॉक्सो कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. पिछले हफ्ते कोर्ट ने पादरी बजिंदर सिंह को 2018 के यौन उत्पीड़न मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 323 (चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया था. इस मामले में पीड़िता ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘वह (बजिंदर) एक मनोरोगी है और जेल से बाहर आने के बाद भी यही अपराध करेगा, इसलिए मैं चाहती हूं कि वह जेल में ही रहे. आज बहुत सी लड़कियों (पीड़ितों) की जीत हुई है. मैं पंजाब के डीजीपी से अनुरोध करती हूं कि हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करें क्योंकि हम पर हमले की संभावना है.’
पीड़िता के पति ने अदालत के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, ‘हमने इस केस के लिए सात साल तक संघर्ष किया. वह (दोषी) अदालत को गुमराह करता था और विदेश यात्राएं करता था, जबकि अदालत के आदेश उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं देते थे. मुझ पर फर्जी एफआईआर दर्ज की गई, हम पर हमला किया गया, मैंने छह महीने जेल में बिताए और फिर मैंने उसे सजा दिलवाने की ठानी. हमें न्यायपालिका पर भरोसा था. मैं चाहता था कि उसे कड़ी सजा मिले. छह आरोपी थे, उनमें से 5 पर केस खारिज हो चुका है और पादरी बजिंदर को दोषी करार दिया गया है. हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं.’
पीड़िता के वकील अनिल सागर ने मामले में अंतिम सुनवाई वाले दिन अदालत से बजिंदर के लिए सख्त सजा की मांग की थी. उन्होंने कहा था, ‘मामले की परिस्थितियों के आधार पर बलात्कार के अपराध के लिए 10 से 20 साल की सजा का प्रावधान है. इस मामले में मैं अदालत से दोषी बजिंदर के लिए उच्चतम सजा की मांग करता हूं, क्योंकि यह व्यक्ति धर्म के नाम पर लोगों को बहकाता था. उसे सख्त सजा देना जरूरी है. मुझे उम्मीद है कि इसके बाद, इस तरह के अपराधों का सामना करने वाली लड़कियां सामने आएंगी और अत्याचारों के बारे में बताएंगी.’