
अमरोहा। अब याचनाओं का समय समाप्त हो चुका है अब वक्त है निर्णायक प्रतिकार का जिससे न आतंक रहे ,न अलगाव रहे। किसान का बच्चा-बच्चा देश के नेतृत्व और सेना के साथ खड़ा है।यह कहना है भाकियू संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी का।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद बीते 14 दिनों से भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा के बैनर तले गांव-गांव में होने वाली जन चौपालों में किसानों के मुद्दे गौण हो गए और आतंकी हमले में बहन-बेटियों के सिंदूर उजाड़ने की घटना और उसका बदला लिया जाना दिलो-दिमाग पर तारी है। बीती रात भारतीय सेना द्वारा आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी अड्डे ध्वस्त करने की लक्षित कार्रवाई के बाद बुधवार को भाकियू संयुक्त मोर्चा बैनर तले मुरादाबाद मंडल के अलग-अलग जनपदों में किसानों द्वारा हवन-यज्ञ आदि देश की सीमा व सेना के जवानों की कुशलता की प्रार्थना की गईं।

इस अवसर पर भाकियू संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने अपने बयान में कहा है कि देश चाहता है कि आतंक के ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर आतंक का सफाया कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की एकता पर पहलगाम आतंकी हमले के 14 दिन बाद पाकिस्तान में लक्षित आतंकी ठिकानों पर सेना द्वारा गज़ब प्रहार किया गया है। हमें अपने वीर जवानों और भारतीय सेना पर गर्व है। भाकियू नेता ने कहा कि पाकिस्तान में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी भारतीयों को तसल्ली हुई हैं। उनका कहना है कि पहलगाम हमले के बाद से ही लोगों में बहुत रोष था और वो इसका जवाब चाहते थे। हमारे सुरक्षा बलों ने वही किया जैसा देश चाहता था। भारत को अपनी रक्षा करने का पूरा हक़ है। क्योंकि पहलगाम घटना के वक्त 22 अप्रैल को आतंकियों द्वारा कहा गया था, ‘मोदी को बता देना’, आज़ 07 मई को मोदी ने उन्हें बता दिया।

नरेश चौधरी ने कहा कि युद्ध विडियो गेम नहीं है जो सब एकतरफा होगा। युद्ध लंबा खिंच सकता है परन्तु अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए देश अपनी फौज और लीडरशिप के साथ है। उन्होंने कहा कि किसान एकमत हैं कि पाकिस्तान को करारा जवाब दीजिए, अगर युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति में देश को सैनिकों की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए किसान तैयार हैं। तर्क कुतर्क, पक्ष-विपक्ष की बहस से दूर रहते हुए किसान भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। देशवासी युद्ध के पक्षधर नहीं है, लेकिन जब शांति का प्रत्युत्तर धोखेबाजी से दिया जाए, और संयम को दुर्बलता समझा जाए, तब न्याय को दंड का स्वरूप धारण करना अनिवार्य हो जाता है। नेतृत्व को चाहिए कि अब याचनाओं का समय समाप्त हो चुका है।अब समय है निर्णायक प्रतिकार का।जो हमारे नेतृत्व और सुरक्षा बलों ने कर दिखाया है।यह ऐसा मजबूत संदेश है जो भारत की एकता और दृढ़ता को दर्शाता है।जिस पर हमें नाज़ है।

22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से आहत किसानों की नज़र, गेहूं की फसल की कटाई, गहाई के काम में व्यस्त होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सेना की कार्रवाई पर टिकी हुई थी।
नरेश चौधरी ने कहा कि फेंके जो कोई ईंट तो पत्थर से दो जवाब, अब मुंसिफी के वास्ते कोई ना आयेगा, तुम पैंतरे बदल के किए जाओ मुझपे वार, जब मेरा वार होगा तो खाली ना जाएगा,तुम छुपकर मारोगे,हम घुसकर मारेंगे।