अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार प्रोफेसर को जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन अभी ही टिप्पणी क्यों.

प्रोफेसर मेहमूदाबाद की ओर से कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दीं. कपिल सिब्बल ने कहा कि मेरे मुवक्किल का वह बयान देखें, जिसके आधार पर आपराधिक दायित्व तय किया जा रहा है. प्रोफेसर महमूदाबाद की पोस्ट पढ़ने के बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पूछा कि क्या यह किसी अखबार में छपी खबर है या सोशल मीडिया पोस्ट? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक ट्विटर पोस्ट है. सिब्बल ने प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद की पूरी पोस्ट पढ़कर सुनाने के बाद कहा कि यह अत्यंत देशभक्ति से भरा हुआ बयान है.

कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में यह दलील दी कि जो लोग बिना सोचे समझे युद्ध की मांग कर रहे हैं, यह टिप्पणी मीडिया के लिए है. यहां उन्हीं की बात की जा रही है. इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि युद्ध के गंभीर परिणामों पर टिप्पणी करते हुए अब ये राजनीति पर उतर आए हैं? बयान फिर से पढ़िए. यह स्पष्ट है कि वह (प्रोफेसर महमूदाबाद) दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों को संबोधित कर रहे हैं. हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है. लेकिन इस तरह के सांप्रदायिक मुद्दों पर बात करने का यह समय है क्या? देश एक बड़े संकट से गुजरा है. राक्षस देश में घुसे और हमारे लोगों पर हमला किया. ऐसे समय में लोग सस्ती लोकप्रियता क्यों बटोरना चाहते हैं?