अगले 24 घंटों में मानसून केरल में पहुंचने वाला है, जो अपने तय समय से करीब एक सप्ताह पहले है. इस साल केरल में मानसून का आगमन पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी होने वाला है. राज्य में मानसून के आगमन के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं. निम्न दबाव वाले क्षेत्र और आगे बढ़ते मानसून सिस्टम के कारण पिछले दो दिनों में केरल के कई हिस्सों में भारी वर्षा हुई है. पिछली बार राज्य में मानसून इतनी जल्दी 2009 और 2001 में आया था, जब यह 23 मई को राज्य में पहुंचा था.

केरल में मानसून के आगमन की सामान्य तिथि 1 जून है. हालांकि, 1918 में राज्य में 11 मई को ही मानसून ने दस्तक दे दी थी, जो आज तक का केरल में सबसे जल्दी मानसून आगमन का इकलौता मामला है. दूसरी ओर, मानसून के देरी से केरल आगमन का रिकॉर्ड 1972 में दर्ज है, जब मानसून की बारिश 18 जून को शुरू हुई थी. पिछले 25 वर्षों में सबसे अधिक देरी से मानसून का आगमन 2016 में हुआ, जब मानसून ने 9 जून को केरल में प्रवेश किया.

आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘अगले 2-3 दिनों में केरल में मानसून के आगमन के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने की संभावना है.’ इस वर्ष मानसून के आने का पूर्वानुमान आईएमडी के 27 मई के डेडलाइन के भीतर है, जिसमें चार दिनों का मॉडल एरर मार्जिन चलता है. पिछले साल मानसून ने केरल में 30 मई को दस्तक दी थी. मानसून का समय पर आगमन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, जहां वार्षिक वर्षा का लगभग 70% जून-सितंबर की अवधि के दौरान होता है. 

मानसून की बारिश फसलों की सिंचाई और भूजल एवं जलाशयों को पुनः भरने के लिए महत्वपूर्ण है, तथा इसका सीधा प्रभाव देश के कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. आईएमडी ने 2025 के लिए औसत से अधिक मानसून की बारिश का अनुमान लगाया है, जिससे खरीफ सीजन की फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद बढ़ गई है. उत्पादन बढ़ने से ग्रामीण आय में वृद्धि होगी, खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी और देश के समग्र आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा. शुरुआती बारिश से धान, मक्का, कपास, सोयाबीन और तिलहन की बुवाई को बढ़ावा मिलने तथा रबी सीजन से पहले जलाशयों का जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है.

केरल के अलावा, आईएमडी ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के दक्षिण और मध्य अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र, लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों, कर्नाटक, तमिलनाडु, दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी, उत्तरी बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में इसी अवधि के दौरान आगे बढ़ने का अनुमान लगाया है. इसके समानांतर, दक्षिण कोंकण-गोवा तट से दूर, पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर एक लो प्रेशर वेदर सिस्टम बनने की खबर है. अगले 36 घंटों में उत्तर की ओर बढ़ते हुए यह लो प्रेशर वेदर सिस्टम और भी मजबूत हो सकता है और स्थानीय वेदर पैटर्न को प्रभावित कर सकता है, जिससे पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों में बारिश और हवा में बदलाव हो सकता है.