
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘चिनाब ब्रिज हो या फिर अंजी ब्रिज, ये जम्मू और कश्मीर – दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का जरिया बनेंगे. इससे पर्यटन तो बढ़ेगा ही, अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों को भी लाभ होगा. जम्मू और कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी. इससे यहां की उद्योगों को गति मिलेगी. अब कश्मीर के सेब कम लागत में देश के बड़े बाजारों तक पहुंच पाएंगे और समय पर पहुंच पाएंगे. सूखे मेवे हों या पश्मीना शाल, यहां का हस्तशिल्प अब आसानी से देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा. इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों का देश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना भी बहुत आसान होगा.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”पाकिस्तान ने पहलगाम में इन्सानियत और कश्मीरियत, दोनों पर वार किया. उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था, कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई रोकने का था, इसलिए पाकिस्तान ने पर्यटकों पर हमला किया. पाकिस्तान की साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं.”
पीएम मोदी ने कहा, ”पाकिस्तान के साजिश के खिलाफ जम्मू कश्मीर के लोगों ने ताकत दिखाई है. दुनिया भर के आतंकी मानसिकता को जम्मू कश्मीर के लोगों ने जवाब दिया है. आतंक ने घाटी में स्कूल भी जलाया था. हमारे पड़ोस का देश मानवाता का विरोधी और मेल जोल का विरोधी है. वो ऐसा देश है जो गरीब के रोजी रोटी का विरोध है.”
पहलगाम आतंकी हमले पर पीएम मोदी ने कहा कि यह इंसानियत पर हमला था. हमारा पड़ोसी मानवता का विरोधी है. उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था, कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई रोकने का था, इसलिए पाकिस्तान ने टूरिस्टों पर हमला किया. जम्मू-कश्मीर का नौजवान अब आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुका है.
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज 6 जून है. संयोग से ठीक एक महीने पहले, आज की ही रात पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी. अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी.
पीएम मोदी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर मां भारती का मुकुट है. ये मुकुट अलग-अलग रत्नों से जड़ा हुआ है. यहां की संस्कृति, संस्कार, जड़ी-बूटियों का संसार, यहां के युवाओं में जो टैलेंट है, वो मुकुट मणि की तरह चमकता है. ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे कार्यकाल में गति पकड़ी और हमने इसे पूरा करके दिखाया. रास्ते में आने जाने की मुश्किलें, मौसम की परेशानी, लगातार पहाड़ों से गिरते पत्थर. ये प्रोजेक्ट पूरा करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन हमारी सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना.’