उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि आधार कार्ड अब जन्मतिथि प्रमाण पत्र (Date of Birth Certificate) के रूप में मान्य नहीं होगा. नियोजन विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि किसी भी प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर तय नहीं होती है, इसलिए इसे आधिकारिक जन्म तिथि प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
नियोजन विभाग के विशेष सचिव द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि नियुक्तियों, विभिन्न सरकारी सेवाओं, आवेदन प्रक्रियाओं और सत्यापन कार्यों में आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल न किया जाए. आधार कार्ड बनवाते समय व्यक्ति की जन्मतिथि किसी मान्य दस्तावेज से सत्यापित नहीं की जाती. कई मामलों में यह स्वयं घोषित (self-declared) होती है.
सरकार का यह फैसला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर लिया गया है. UIDAI के अनुसार, आधार में दर्ज जन्मतिथि को प्रमाणिक नहीं माना जा सकता, क्योंकि आधार बनाने की प्रक्रिया में जन्म का प्रमाण पत्र, स्कूल रिकॉर्ड या अस्पताल से जारी किसी दस्तावेज को अनिवार्य रूप से देना जरूरी नहीं है.
नियोजन विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के सभी विभाग तुरंत प्रभाव से आधार कार्ड को DOB प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करना बंद करें. अपने अधीनस्थ कार्यालयों को भी दिशा-निर्देश जारी करें.
सरकारी सेवाओं, सरकारी नौकरी, पेंशन, छात्रवृत्ति, लाइसेंस, सरकारी योजनाओं और किसी भी तरह की पहचान या उम्र संबंधित प्रक्रिया में अब जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में केवल मान्य दस्तावेज ही स्वीकार होंगे. इनमें जन्म प्रमाण पत्र, हाईस्कूल प्रमाण पत्र, नगर निकाय द्वारा जारी जन्म पंजीकरण रिकॉर्ड या अन्य अधिकृत दस्तावेज शामिल हैं.
महाराष्ट्र में भी सरकार ने अहम आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि देरी से बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आधार कार्ड को डॉक्यूमेंट नहीं माना जाएगा. अगस्त 2023 में एक्ट में बदलाव के बाद सिर्फ आधार कार्ड से बने सभी बर्थ सर्टिफिकेट कैंसल कर दिए जाएंगे. सरकार ने यह फैसला गैर-कानूनी कामों के लिए इस्तेमाल हो रहे फेक बर्थ सर्टिफिकेट और डेथ सर्टिफिकेट को रोकने के लिए लिया है.
