
अमरोहा। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि समग्र ग्रामीण विकास के बिना विकसित भारत की कल्पना अधूरी है। भाकियू संयुक्त मोर्चा के बैनर तले दिल्ली – लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 09 पर औद्योगिक क्षेत्र गजरौला स्थित फ्लाईओवर के समीप मंगलवार को “अन्नदाता हुंकार” रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि अमेरिका की सरकार जहां अपने किसान को प्रतिवर्ष 80 लाख़ रुपये की सब्सिडी देती है वहीं दूसरी ओर भारत में मात्र 24 हजार प्रति वर्ष सब्सिडी दी जाती है।

नरेश चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित फसलों पर एमएसपी नहीं दिए जाने की वजह से वर्ष 2022-23 में देश के किसानों को लगभग 12.55 लाख़ करोड़ रुपये की हानि हुई जबकि ओईसीडी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000-17 में किसानों को लगभग 45 लाख़ रुपये का नुक़सान हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि इस संबंध में संसदीय स्थाई समिति द्वारा एमएसपी गारंटी कानून लागू करने की सिफारिशों पर भी केंद्र सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी गई। उन्होंने सरकार के दावे का हवाला देते हुए कहा कि यूरिया पर 92 फीसदी सब्सिडी है,मसलन सौ रुपये की खाद है तो 92 रुपये सरकार देती है और आठ रुपये किसान देता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि ऐसे यूरिया का गैर कृषि कार्यों में दुरुपयोग किया जा रहा है।सब्सिडी वाले यूरिया की कालाबाजारी पर अभी तक अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं सरकार और अधिकारी।

उन्होंने कहा कि किसान खेती-बाड़ी समेत सारे काम छोड़कर तीन बोरा यूरिया के लिए लाइन में लगा हुआ है। नकली खाद और नक़ली कीटनाशकों की बाज़ार में भरमार है।इन दुश्वारियों से तंग आकर प्रदर्शन करने वाले किसानों को गिरफ्तार करने की धमकी देकर डराया जाता है।इस संबंध में सरकार को जल्दी से जल्दी निगरानी समिति बना कर कालाबाजारी पर रोक लगाना चाहिए। भाकियू नेता ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के दावे के साथ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सत्ता में आई भाजपा सरकार से 2014 में किसान की हालत में सुधार की जो उम्मीद जगी थी 11 साल में निराशा हाथ लगी है।
भाकियू नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधायकों ने अपने वेतन भत्तों में 40 फीसदी की खुद से बढ़ोत्तरी कर ली लेकिन खाद के लिए लाइन में खड़े किसान की अभी तक कोई सुध नहीं ली। वरिष्ठ किसान नेता नरेश चौधरी ने कहा कि बेरोजगार भारत रोटी कपड़ा और मकान ख़ोज रहा है, जबकि देश की संपत्ति और इज्ज़त पर भ्रष्टाचारी कब्जा करते चले जा रहे हैं। बैल लुप्त हो गए गाय बेसहारा हो गईं।इस तरह पशुओं को आवारा बना देने वाले अब कुत्तों को भी देहरी से दूर वहां ले जा रहे हैं जहां मौत से बदतर जिंदगी बेजुबानों की कब्रिस्तान कही जाने वाली वर्तमान गौशालाओं की है। उन्होंने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश में ही 16 लाख़ से अधिक बेसहारा गाय मौजूद हैं जबकि पूरे देश में लगभग 50 लाख़ से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में जब विकास की बात होती है, तो अक्सर पुल, सड़क, एक्सप्रेस वे, डिजिटल इंडिया आदि चर्चा में रहते हैं। लेकिन इस तरक्की की चकाचौंध के बीच एक कड़वी सच्चाई दब जाती है कि इसमें कहीं भारत खो गया है।
इस मौके पर मौजूद अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें किसान आयोग, बिजली के निजीकरण व स्मार्ट मीटर का विरोध,ग्रामीण टैरिफ पर बिजली, 20 घंटे पर्याप्त बिजली, खाद की कालाबाजारी व नकली उर्वरकों पर रोक,तहसील व थानों में झूठी एफआईआर का डर दिखाकर उत्पीड़न बंद हो, किसानों के तमाम ऋण माफ़ करने, कृषि यंत्र जीएसटी मुक्त हों आदि मांग शामिल हैं।