
दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों में बढ़ते एयर पॉल्यूशन के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के पार पहुंच गया है. इसके कारण दिल्ली पॉल्यूशन का एक गैस चैंबर बना हुआ है. बढ़ते प्रदूषण के कारण यहां रहने वाले लोगों की आंखों में जलन, गले में खराश और दूसरी तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगी हैं. इसके कारण गर्भवती महिलाओं और नवजात और बच्चों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि गर्भपात की नौबत आ सकती है.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो लगातार बढ़ते पॉल्यूशन से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं और आम लोगों को कई उपाय करने चाहिए. दिल्ली में इस समय हालात बहुत खराब हो रहे हैं. जो पूरी तरह से स्मॉग और धुएं से भरा हुआ है. इसमें धुएं के साथ तरल कण भी मिल गए हैं, जो और भी ज्यादा नुकसानदेह है. इस समय AQI 300 से 400 को पार कर गया है, और गर्भवती महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत है.
बढ़ते प्रदूषण का असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ सकता है. इस दौरान गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है और बच्चों में जन्मजात विकृतियों की संभावना भी बढ़ जाती है. यह नवजात शिशुओं को भी नुकसान पहुंचाता है जिससे संक्रमण और सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं .जब प्रदूषण का स्तर 100 से ऊपर चला जाता है, तो गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहना चाहिए और बाहर जाने से बचना चाहिए. अगर बाहर जाना जरूरी है, तो उन्हें N95 मास्क पहनना चाहिए. घर के अंदर रहते हुए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. अगर एयर प्यूरीफायर उपलब्ध न हो तो घर में मनी प्लांट, स्पाइडर प्लांट और स्नेक प्लांट जैसे कुछ प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर लगाने चाहिए.
संतुलित और स्वस्थ आहार लेना भी जरूरी है. गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में चार कलर के खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए- सफेद (दही, दूध), नारंगी (संतरा, गाजर), लाल (टमाटर), हरा (हरी सब्जियां) आदि. इससे आपकी इम्युनिटी बढ़ेगी. अपने डाइट में हल्दी और लहसुन जैसे एंटीऑक्सीडेंट पदार्थ शामिल करने से उन्हें प्रदूषण से सुरक्षा मिलेगी. अगर गर्भवती महिलाएं इन उपायों का पालन करती हैं तो निश्चित रूप से उनके बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.