मुंबई की एक विशेष एनआईए कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम धमाके केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता है.’ कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

बरी हुए आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं. फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कोर्ट में भावुक हो गईं और जज लाहोटी के सामने उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. 

उन्होंने कहा, ‘मैंने वर्षों तक अपमान सहा, कई बार संघर्ष किया. मुझे तब कलंकित किया गया जब मैं दोषी नहीं थी. आज, भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है. ‘भगवा आतंकवाद’ का झूठा आरोप अब झूठा साबित हो गया है.’ कोर्ट से बाहर निकलते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरे जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए. ईश्वर उन्हें दंड देगा जिन्होंने भगवा को बदनाम करने की कोशिश की.’

साध्वी प्रज्ञा ने जज ए.के. लाहोटी से कहा, ‘मुझे जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था, लेकिन जब मैं पहुंचीं तो बिना किसी कारण के मुझे गिरफ्तार कर लिया गया और मुझे टॉर्चर किया गया. उस अत्याचार ने मेरी पूरी जिंदगी को बर्बाद कर दिया. मैं एक सन्यासिनी का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे झूठा आरोपी बना दिया गया, और उस समय कोई भी हमारे साथ खड़ा होने को तैयार नहीं था. आज मैं जिंदा हूं क्योंकि मैं एक सन्यासी हूं. मैं हर दिन मरते हुए अपना जीवन जी रही हूं.’