चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा. जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफे के कारण भारत के उपराष्ट्रपति का पद खाली हो गया था और यह चुनाव कराना आवश्यक हो गया. धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक 7 से 21 अगस्त तक उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया जा सकेगा. नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को होगी. उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे. 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोट डाले जाएंगे और उसी दिन रात को परिणाम घोषित होंगे.

संविधान के अनुच्छेद 324, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़े 1952 और 1974 के कानूनों के तहत यह जिम्मेदारी पूरी तरह निर्वाचन आयोग के अधीन होती है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम की धारा 4(3) के अनुसार, अगर दोनों संवैधानिक पदों का कार्यकाल सामान्य रूप से समाप्त होता है तो निर्वाचन आयोग को अगले चुनाव के लिए 60 दिन पहले अधिसूचना जारी करनी होती है. इसके पीछे का उद्देश्य यह होता है कि मौजूदा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का कार्यकाल खमाप्त होने से पहले उनके उत्तराधिकारी चुन लिए जाएं, जिससे संवैधानिक रिक्ति ना रहे.

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने इलेक्टोरल कॉलेज (निर्वाचक मंडल) के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) और एकल संक्रमणीय मत पद्धति (Single Transferable Vote System) से किया जाता है. इस इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रपति द्वारा नामित राज्यसभा के 12 सदस्य भी शामिल होते हैं. चूंकि सभी निर्वाचक संसद सदस्य होते हैं, इसलिए हर सांसद के वोट का वैल्यू ‘1’  होता है.

उपराष्ट्रपति का चुनाव पोस्टल-बैलट से होता है. वोट देने वाले सांसदों को सभी प्रत्याशियों के आगे वरीयता क्रम में अंक अंकित करने होते हैं. यह अंक भारतीय, रोमन या मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं में दिए जा सकते हैं, लेकिन शब्दों में नहीं. पहली वरीयता देना अनिवार्य है, बाकी वरीयताएं वैकल्पिक होती हैं. चुनाव आयोग मतदान के लिए विशेष स्याही वाली कलम देता है, जिसे मतदान केंद्र पर ही उपलब्ध कराया जाता है. मतदान के लिए किसी अन्य पेन का इस्तेमाल करने पर वोट अमान्य घोषित कर दिया जाता है.

यह गुप्ता मतदान होता है. इलेक्टोरल कॉलेज का कोई भी सदस्य अपना मतपत्र किसी दूसरे को नहीं दिखा सकता. वोटिंग के बाद मतपत्र को ठीक से मोड़ना अनिवार्य है. नियमों के उल्लंघन पर वोट अमान्य घोषित हो सकता है. राजनीतिक दल अपने सांसदों को किसी प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने का ‘व्हिप’ जारी नहीं कर सकते. किसी भी प्रकार की रिश्वत, दबाव या अनुचित प्रभाव (IPC की धारा 171B और 171C) की स्थिति में चुनाव को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जा सकता है. मतदान वाले दिन ही परिणाम घोषित होते हैं.