सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि कोलकाता में मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़ की गई है. केस की लीपापोती की कोशिश की गई. अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई. 

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है. घटना की सूचना पीड़िता के परिजनों को देरी से दी गई. परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई. मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है. वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. कोर्ट ने भी कहा कि पुलिस डायरी और पोस्टमार्टम के वक्त में अतंर है. आरोपी की मेडिकल जांच पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने पंचनामे को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर स्वाभाविक मौत थी तो पोस्टमार्टम क्यों किया गया? पोस्टमार्टम के बाद एफआईआर से हैरानी होती है. 

30 साल में ऐसी लापरवाही कभी नहीं देखी: जस्टिस पारदीवाला

कोलकाता मामले पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि ये केस चौंकाने वाला है. हमने बीते 30 साल में ऐसा केस नहीं देखा. यह पूरा मामला सदमा देने वाला है. बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक है.