
संभल की जामा मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की गई है. इसकी कॉपी सामने आई है. इस रिपोर्ट में ASI ने मस्जिद के अंदर स्वरूप में किए गए बदलाव का जिक्र किया है. स्टेटस रिपोर्ट में मस्जिद में फिलहाल किसी भी पेंट या हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होने की बात कही गई है.
इसी के साथ मस्जिद के डिजिटल सर्वे के लिए मेरठ सर्कल के द्वारा कार्ययोजना तैयार करने का जिक्र भी किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद की फर्श को टाइल्स और पत्थर में बदल दिया गया है.
हाईकोर्ट के आदेश पर एएसआई की टीम में शामिल संयुक्त महानिदेशक मदन सिंह चौहान, निदेशक स्मारक जुल्फेगर अली और पर्यवेक्षण पुरातत्वविद् मेरठ सर्कल विनोद सिंह रावत ने 27 फरवरी 2025 को मस्जिद का दौरा किया. इस दौरान मस्जिद की देखरेख करने वालों की मौजूदगी में स्मारक का निरीक्षण किया गया.
संभल जामा मस्जिद को 22 दिसंबर 1920 को अधिसूचना संख्या 1645/1133-M के तहत प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत संरक्षित घोषित किया गया था. मस्जिद का मुख्य ढांचा एक बड़े गुंबद के रूप में है, जिसके चारों ओर आंगन है. मस्जिद की पूर्वी दिशा में मुख्य द्वार है, जिसके भीतर जाने के लिए सीढ़ियां हैं. मस्जिद के बीच वजू के लिए जलाशय है.
ASI के निरीक्षण में सामने आया कि मस्जिद कमेटी ने पहले भी मरम्मत और पुनरोद्धार कार्य किए हैं, जिससे ऐतिहासिक संरचना में कई बदलाव हुए हैं. मस्जिद की फर्श को पूरी तरह से टाइल्स और पत्थरों से बदल दिया गया है. इसके अलावा मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में सुनहरे, लाल, हरे और पीले रंग की मोटी तामचीनी पेंट की गई है, जिससे मूल सतह ढक गई है.
एएसआई की टीम के अनुसार, मस्जिद के भीतर की तामचीनी पेंट अभी अच्छी स्थिति में है और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, बाहरी हिस्से में कुछ जगहों पर पेंट उखड़ने के संकेत हैं, लेकिन स्थिति अभी इतनी गंभीर नहीं है कि तत्काल इसमें कुछ करने की जरूरत हो.