अमरोहा। उत्तर प्रदेश की गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रतीक धनौरा का रामलीला मैदान, रामनौमी भूमि, लैंड सिंडिकेट से लंबे संघर्ष का एक प्रतीक बन गई है। अवैध ढंग से कब्जाई भूमि पर योगी सरकार का बड़ा एक्शन हो सकता है।पश्चिम उत्तर प्रदेश की अमूल्य धरोहर धनौरा का विशाल रामलीला मैदान, जहां दूर दूर से लोग सांस्कृतिक तथा धार्मिक आयोजनों में शामिल होते रहे हैं, लंबे समय से भू माफियाओं की साजिशों का शिकार होता रहा है। आरोप है कि सार्वजनिक भूमि को खुर्द-बुर्द करने वाले और कोई नहीं बल्कि अधिकांश सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोग शामिल हैं। इसलिए बाढ़ खंड नाला और रामलीला मैदान पर अवैध कब्जे जिला प्रशासन के गले की हड्डी बने हुए हैं। हालांकि रामलीला मैदान पर अवैध कब्जे से बुरी तरह आहत क्षेत्रीय जनता की आवाज़ मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंचा दी गई है और जनभावनाओं की कद्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान ले लिया है।

इस संबंध में वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता तथा विधायक राजीव तरारा ने बताया कि रामनौमी भूमि की पैमाइश कराई जा चुकी है। इस संबंध में प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह से भी वार्ता हो गई है। शीघ्र ही मैदान की घेराबंदी करने से संबंधित बजट आदि का सरकारी आदेश एक दो दिन में जनपद में आ जाएगा। राजीव तरारा ने कहा कि योगी सरकार में भू-माफियाओं के मंसूबे पूरे नहीं होने दिए जाएंगे। रामलीला मैदान क्षेत्रीय जनता की धरोहर है।उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में भू-माफियाओं के हौसले बुलंद होने की वज़ह से सरकारी बाढ़ खंड नाले पर अतिक्रमण तथा सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे कर बाज़ार खड़ा कर दिया गया।

सार्वजनिक भूमि बचाओ अभियान के लंबे समय तक अगुआ रहे सुधीर त्यागी ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि नवंबर माह 2015 में अमरोहा के तत्कालीन जिलाधिकारी वेद प्रकाश द्वारा उक्त भूमि से अवैध क़ब्ज़े हटाने तथा किसी भी तरह निर्माण कार्य नहीं करने के आदेश दिए थे।ऐसी स्थिति में कोई भी निर्माण करने से पहले धारा 143 के तहत अनुमति लेना जरूरी है। महिला विकास संस्थान की आड़ में बाज़ार से सटे रामलीला मैदान के एक हिस्से पर भी अवैध कब्जा जमा कर उस पर सड़कों और दुकानों का निर्माण रातों-रात करा दिया गया।

सुधीर त्यागी ने उक्त भूमि के बारे में बताया कि राजस्व ग्राम व तहसील धनौरा जिला अमरोहा में मंदिर महादेव ,श्रेणी 6-2 की सार्वजनिक भूमि गाटा संख्या 79 क्षेत्रफल 0.4050 हैक्टेयर, गाटा संख्या 130 मिनजुबला क्षेत्रफल 0.0360 हैक्टेयर, गाटा संख्या 132 मिनजुबला क्षेत्रफल 2.0430 हैक्टेयर, गाटा संख्या 526 क्षेत्रफल 0.400 हैक्टेयर, स्थान रामनौमी के नाम पर दर्ज , श्रेणी 6-4 की सार्वजनिक/ सरकारी भूमि गाटा संख्या 110 , क्षेत्रफल 0.2060 हैक्टेयर, गाटा संख्या 132 मिनजुबला, क्षेत्रफल 1.2910 हैक्टेयर, गाटा संख्या 526 , क्षेत्रफल 0.200 हैक्टेयर, तथा तालाब गाटा संख्या 78 क्षेत्रफल 1.2140 हैक्टेयर, तालाब गाटा संख्या 131 क्षेत्रफल 0.526 हैक्टेयर व नाला सरकारी गाटा संख्या 133 , क्षेत्रफल 0.0120 हैक्टेयर। इस तरह भूमि गाटा संख्या 78 ( तालाब) 79,110 ,130 मिनजुबला (नाला बाढ़ खंड) ,131, ( तालाब) 132 मिनजुबला क्षेत्रफल 2.043 हैक्टेयर, 132 मिनजुबला क्षेत्रफल 1.029 हैक्टेयर समेत उक्त भूमि पर राजस्व प्रशासन की मिली भगत से अवैध निर्माण जारी हैं।आरोप है कि इस तरह से नगर के लगभग 19 तालाबों गायब हो चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि सहायक निबंधक फर्म सोसायटीज एवं चिट्स कार्यालय में रजिस्टर्ड समितियों की आड़ में सार्वजनिक भूमि को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है।

सार्वजनिक भूमि, तालाबों को कब्जामुक्त तथा बाढ़खंड नाले से अतिक्रमण हटवाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर की गई जनहित याचिका संख्या 37949/2011 को स्वीकार करते हुए माननीय न्यायालय ने शीघ्र अति शीघ्र कब्जे हटवाने के आदेश पारित किए थे। वहीं इस संबंध में वर्ष 2015 में अमरोहा के तत्कालीन जिलाधिकारी वेदप्रकाश द्वारा आदेश दिए थे। लेकिन आदेशों का अनुपालन नहीं होने से लोगों में निराशा घर कर गई वहीं दूसरी ओर विवादित ज़मीनों के कारोबारी सिंडिकेट के हौसले बुलंद होते चले गए।बहुउपयोगी मैदान की गाटा संख्या 132 मिनजुबला क्षेत्रफल 2.0430 हैक्टेयर भूमि के हिस्से में पानी टंकी निर्माण से मैदान टुकड़ों में बांट दिया है।रामनौमी में दर्ज उक्त भूमि पर अग्रवाल शिक्षा परिषद मंडी धनौरा, संस्था पंजिकरण संख्या 1232, अग्रवाल शिक्षा परिषद मंडी धनौरा। बी -20072 श्री रामलीला प्रबंध समिति मंडी धनौरा, संस्था रजिस्ट्रेशन नंबर 31631 । श्री आनंद धाम आश्रम मंडी धनौरा तथा महिला विकास संस्थान आदि संस्थाओं का दख़ल चला आ रहा हैं। जबकि इस संस्थाओं के पास उक्त भूमि का स्वामित्व नहीं है। सुधीर त्यागी ने सरकार से मांग की है कि धनोरा के ऐतिहासिक रामलीला मैदान की घेराबंदी के पश्चात प्रदेश सरकार उक्त भूमि का अधिग्रहण कर ले, ताकि यह धरोहर सुरक्षित रहे।

बुजुर्गों कि माने तो तहसील क्षेत्र के बछरायूं कस्बा निवासी मौलवी साहब व मेहंदी हसन परिवार द्वारा इलाके के लोगों की सहुलियत के मद्देनजर यह भूमि गंगा-जमुनी संस्कृति को मजबूत करने के लिए रामलीला मैदान की भूमि सशर्त दी थी कि इस किसी भी तरह का निर्माण या कमर्शियल गतिविधियां नहीं की जाएंगी अन्यथा सारी भूमि वापस ले ली जाएगी।