
नए वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत आज से हो रही है. ऐसे में बजट में किए गए ऐलान के कारण आज से इनकम टैक्स के कई नियमों में बदलाव हो रहा है. इसमें 12 लाख रुपये तक टैक्स छूट से लेकर न्यू इनकम टैक्स स्लैब और टीडीएस जैसे नियम शामिल हैं. इसमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव नई आयकर व्यवस्था चुनने वाले व्यक्तियों के लिए धारा 87A के तहत छूट प्राप्त करने हेतु आय सीमा बढ़ाना है.
- 12 लाख रुपये तक टैक्स छूट
इस लिमिट को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को अब इनकम टैक्स पेमेंट करने की आवश्यकता नहीं होगी. पहले 12 लाख रुपये के सालाना इनकम पर 80 हजार रुपये का टैक्स लगता था. लेकिन अब एक भी रुपये का टैक्स नहीं देना होगा. हालांकि व्यक्तियों को अभी अनुपालन करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा.
2. नए नियम नई आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब की संरचना को भी संशोधित करते हैं. अब सात स्लैब में टैक्स देनदारी तय किए गए हैं, जो 0 से 24 लाख रुपये और उससे अधिक तक हैं, जिसमें टैक्स-फ्री लिमिट पहले के 3 लाख रुपये से बढ़कर 4 लाख रुपये हो गई है. अब उच्चतम टैक्स रेट 24 लाख रुपये से अधिक आय वालों पर लागू होगी, जो पहले 15 लाख रुपये थी.
इन बदलावों का उद्देश्य टैक्स कैलकुलेशन को सरल बनाना और टैक्स देनदारियों पर स्पष्टता पेश करना है, खासतौर से मध्यम आय वालों को लाभ पहुंचाना शामिल है. महत्वपूर्ण बात यह है कि ये संशोधन कॉर्पोरेट टैक्स रेट्स या पुरानी आयकर व्यवस्था को प्रभावित नहीं करते हैं, जिससे व्यवसायों के लिए स्थिरता बनी रहती है.
0-4 लाख रुपये – शून्य
4-8 लाख रुपये – 5%
8-12 लाख रुपये – 10%
12-16 लाख रुपये – 15%
16-20 लाख रुपये – 20%
20-24 लाख रुपये – 25%
24 लाख रुपये से ऊपर – 30%
3. 12 लाख तक टैक्स छूट के साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी रखा गया है, जिसके तहत सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स 75000 रुपये और टैक्स में छूट का लाभ उठा सकते हैं. यानी नए इनकम टैक्स के तहत अब 12.75 लाख रुपये तक सालाना टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं.
4. इसके अलावा, बैंक ब्याज और लाभांश पर TDS की लिमिट में भी समायोजन किया गया है. सीनियर सिटीजन के लिए, बैंक ब्याज पर टीडीएस लिमिट 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है, जबकि अन्य के लिए यह 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है. इसके अलावा, डिविडेंड आय के लिए टीडीएस सीमा दोगुनी होकर 10,000 रुपये हो गई है.
इसी तरह, किराये की आय पर छूट की सीमा बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है, जिससे मकान मालिकों के लिए बोझ कम हो गया है और शहरी क्षेत्रों में किराये के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है.
5. अब बिना TCS के 7 लाख की जगह 10 लाख रुपये तक की छूट दी गई है. अगर आप बच्चों की पढ़ाई, पारिवारिक खर्च या किसी अन्य कारण से विदेश में पैसा भेजते हैं तो अब आपके लिए राहत भरी खबर है. पहले 7 लाख रुपये से अधिक की राशि भेजने पर टीसीएस देना पड़ता था, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है. अगर आप बिजनेस करते हैं और आपकी बिक्री बड़ी है तो अब आपको 50 लाख रुपये से ज्यादा की बिक्री पर 0.1% टीसीएस काटने की जरूरत नहीं होगी.
6. केंद्रीय बजट में अपडेटेड टैक्स रिटर्न (ITR-U) फाइल करने की समयसीमा को प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के 12 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स को भारी जुर्माना लगाए बिना टैक्स दायित्वों का पालन करने के लिए अधिक विस्तारित अवधि मिल जाएगी. इस कदम से टैक्सपेयर्स की रिटर्न दाखिल करने में अनजाने में होने वाली देरी के बारे में चिंता कम होने की उम्मीद है.
इसके अलावा, 1 अप्रैल 2030 से पहले शुरू किए गए स्टार्ट-अप को दस में से तीन वर्षों के लिए मुनाफे में 100% कटौती का लाभ मिल सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर उद्यमशीलता और नवाचार को प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है. इनकम टैक्स बिल, फाइनेंस बिल और अन्य टैक्स संबंधी नियम पेश किए गए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो रहे हैं.