
लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंधक सभा का वार्षिक सम्मेलन एवं शैक्षिक संगोष्ठी रविवार को लखनऊ में संपन्न हुई। प्रातः 11 बजे डॉ. डीएवी इंटर कॉलेज, राजेंद्र नगर, लखनऊ में आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ अशोक वाजपेई सदस्य राज्यसभा एवं पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश ने की। इस अवसर पर संगठन के महामंत्री मनमोहन तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में अनुशासनहीनता, गबन, दुराचरण आदि जैसे गंभीर मामलों में प्रबंधन समितियों द्वारा जो कारवाइयां अमल में लाई जाती हैं, उन्हें शिक्षा अधिकारी अमान्य घोषित कर देते हैं। जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है और उन्हें किसी भी कारवाई का कोई भय नहीं रह गया है। जिसके चलते पूरे प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दंडात्मक कार्रवाइयों के निस्तारण के संबंध में सरकार को अविलंब स्पष्ट गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए, जिससे विद्यालयों में अनुशासन का वातावरण निर्मित हो सके।

मध्यांचल के सचिव प्रभाकर श्रीवास्तव ने कहा कि विभागीय अधिकारियों द्वारा शिक्षा अधिनियमों, शासन आदेशों का उल्लंघन करते हुए अवैधानिक आदेश पारित कर प्रबंधन समितियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।जिसके विरुद्ध विभाग अध्यक्ष व निदेशक द्वारा भी कोई विधि सम्मत कार्यवाही नहीं की जाती और अपने सेवा संपर्क के अधिकारियों को अनुचित संरक्षण दिया जाता है। इसके अलावा विद्यालयों में राजनीतिक दखलअंदाजी एवं दबाव भी अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि इसको रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा पी.ई.एस. सेवा संवर्ग से अलग किसी उच्च अधिकारी को अपीलीय अधिकारी नियुक्त किया जाए या निदेशक पद पर आई.ए.एस. अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

पश्चिमांचल के प्रभारी दीपक द्विवेदी ने माध्यमिक विद्यालयों की गंभीर समस्याओं और प्रकरणों के निवारण और नीति निर्धारण में संगठन के माध्यम से प्रबंध तंत्रों की सहभागिता सुनिश्चित कराए जाने की मांग की। उन्होंने हर महीने शासन के शीर्षस्थ अधिकारी के स्तर पर संगठन के साथ समीक्षा बैठक सुनिश्चित कराए जाने पर जोर दिया।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक वाजपेई ने कहा कि विद्यार्थियों को अनिवार्यत: शुल्क मुक्त रखने और और वेतन से इतर अन्य कोई वित्तीय सहायता न देने की व्यवस्था दशकों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि इन सब स्थितियों के चलते अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों का संचालन और संरक्षण पहले ही अत्यंत दुष्कर हो गया है। दूसरी ओर स्थानीय निकाय और विद्युत विभाग द्वारा बेवजह भारी टैक्स लगाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हालात इतने असहनीय और विस्फोटक हो चुके हैं, कि सरकार को तत्काल संज्ञान लेकर इसका समाधान करना चाहिए।

कार्यकारी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा कि राजकीय एवं वित्तविहीन विद्यालयों के लिए “प्रशासन योजना” समाप्त कर दिए जाने किंतु शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए “प्रशासन योजना” लागू रखे जाने की दोहरी नीति अत्यंत ही भेदभावपूर्ण एवं कष्टप्रद है। उन्होंने कहा कि पी.ई.एस. सेवा संवर्ग की भ्रष्टाचार युक्त कार्यशैली ने पूरी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करके रख दिया है। इसे नियंत्रित करने के लिए शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए अनौचित्य पूर्ण “प्रशासन योजना” को अविलंब समाप्त किया जाए।

मुरादाबाद से कुंदरकी के भाजपा विधायक रामवीर सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति अत्यंत गंभीर है। उन्होंने विद्यालयों में ना पढ़ाने वाले अध्यापकों को चेतावनी देते हुए कहा कि छात्रों के हितों से समझौता सरकार कदापि सहन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि विद्यालय में अनुशासन एवं शैक्षणिक वातावरण बनाए रखना प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों का प्रथम कर्तव्य है। सभी को चाहिए कि विद्यालय में अनुशासन व्यवस्था सदैव बनी रहे।

बैठक में मुख्य रूप से गजेंद्र सिंह सचिव पूर्वांचल, इंदु भाल त्रिपाठी अध्यक्ष विधि परामर्श प्रकोष्ठ, एडवोकेट दिलीप मिश्रा, पवन वर्मा, शहजाद अनवर शम्सी, विपुल आनंद ,नरेंद्र श्रीवास्तव, अवधेश राय, प्रेम शंकर शर्मा, अशोक कुमार दुबे, राजनारायण उपाध्याय आदि ने अपने विचार अभिव्यक्त किए। बैठक में प्रदेश के सभी जनपदों के जिला अध्यक्षों शाहिद अनेक संस्थाओं के प्रबंधकों ने प्रतिभाग किया।