मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने जांच कर रहे अधिकारियों पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य का नाम लेने के लिए उन पर दबाव डालने की कोशिश की थी.

एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार (31 जुलाई 2025) को प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उन्हें (आरोपियों को) दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन केवल सात लोगों पर ही मुकदमा चला, क्योंकि आरोप तय होने के समय बाकी सात को बरी कर दिया गया था.

प्रज्ञा ठाकुर का दावा उस मामले में आए फैसले के तुरंत बाद आया है जिसमें बयान से पलटने वाले एक गवाह ने भी दावा किया था कि उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस से जुड़े चार अन्य लोगों को फंसाने के लिए मजबूर किया गया था. इसमें आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य इंद्रेश कुमार भी नाम शामिल था.