झारखंड में मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन इस्तीफा दे चुके हैं. ईडी ने हेमंत को गिरफ्तार कर लिया है और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले सत्ताधारी इंडिया गठबंधन ने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता भी चुन लिया. बुधवार को सियासी हलचल के बीच शाम के समय घटनाक्रम तेजी से घटा. हेमंत सोरेन ने ईडी के अधिकारियों के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को सीएम पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया तो वहीं विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया.
जेएमएम विधायकों ने राज्यपाल से जल्द सरकार गठन की मांग की. जेएमएम को अभी तक राज्यपाल की ओर से सरकार गठन के लिए न्योता नहीं मिला है. इस बीच, झारखंड बीजेपी में भी बैठकों का दौर चल रहा है और पार्टी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी रांची पहुंच चुके हैं. बढ़ती सियासी गहमागहमी के बीच अब सूबे की सियासत एक बार फिर से रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की ओर बढ़ती दिख रही है. बीजेपी की सक्रियता को देखते हुए जेएमएम और कांग्रेस के साथ ही इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियां भी चौकन्नी हो गई हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन को आज यानी एक फरवरी की शाम तक सरकार बनाने का न्योता अगर नहीं मिलता है तो गठबंधन के विधायकों को झारखंड के बाहर किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट किया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो सभी विधायकों को तेलंगाना ले जाया जा सकता है. इंडिया गठबंधन ने यह फैसला विधायकों में टूट के खतरे को कम करने के लिए लिया है. तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के नेताओं को लगता है कि विधायकों की एकजुटता सुनिश्चित करने के लिए तेलंगाना सबसे सुरक्षित ठिकाना हो सकता है.
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा के 80 सदस्यों में से सत्ताधारी गठबंधन के 48 विधायक हैं लेकिन चंपई सोरेन की ओर से सरकार बनाने का दावा करते हुए राज्यपाल को जो समर्थन पत्र सौंपा गया है, उस पर 43 विधायकों के ही हस्ताक्षर हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन का संख्याबल इस समय 32 है. बीजेपी हेमंत सोरेन पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार के बीच बीजेपी की सक्रियता ने इंडिया गठबंधन के नेताओं को चिंता में डाल दिया है. और यही वजह है कि इंडिया गठबंधन किसी भी तरह की टूट के खतरे को टालने के लिए एक्टिव हो गया है.
झारखंड पहले भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स देख चुका है. साल 2022 में जब हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला आया था, तब भी राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया था. हेमंत सोरेन की विधायकी और सीएम की कुर्सी पर बन आई थी और तब भी जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अपने विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट कर दिया था. तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी.