ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला न्यायाधीश के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें हिंदू पक्ष को मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दी गई थी. जानकारी के मुताबिक मस्जिद समिति ने कल रात शीर्ष अदालत के वेकेशन रजिस्ट्रार से संपर्क किया, और आदेश के 7 घंटे के अंदर वाराणसी प्रशासन द्वारा रातोंरात इसके कार्यान्वयन के कारण तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की. 

मुस्लिम पक्ष की कानूनी टीम में वकील फुजैल अय्यूबी, निजाम पाशा और आकांशा शामिल थे. उन्होंने गुरुवार सुबह 3 बजे सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन रजिस्ट्रार से संपर्क किया और वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि वह कानूनी उपाय तलाश सके. रजिस्ट्रार ने सुबह 4 बजे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने दस्तावेज रखे. कागजात देखने के बाद सीजेआई ने मुस्लिम पक्ष से किसी भी तरह की राहत के लिए मामले का उल्लेख इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करने को कहा. 

बता दें कि वाराणसी की अदालत ने स्थानीय प्रशासन से ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में सात दिनों में पूजा बहाली की व्यवस्था करने का​ निर्देश दिया था. प्रशासन ने सात घंटे में ही सब काम पूरा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर पत्र के अनुसार, मस्जिद कमिटी ने कहा कि प्रशासन के पास इस कार्य को ‘जल्दबाजी’ और ‘रात के अंधेरे में’ करने का कोई कारण नहीं था. क्योंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश उन्हें आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए एक सप्ताह का समय  पहले ही दिया जा चुका था. मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया कि प्रशासन हिंदू याचिकाकर्ताओं के साथ मिला हुआ है.

इस बीच, हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक नोटिस दायर किया जाएगा. बता दें कि वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को हिंदुओं को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी. अदालत के आदेश के अनुसार, हिंदू श्रद्धालु अब मस्जिद के अंदर प्रतिबंधित क्षेत्र ‘व्यास का तहखाना’ में प्रार्थना कर सकते हैं. अदालत ने अपनी सुनवाई के दौरान ‘पूजा’ के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को एक पुजारी नामित करने को कहा. 

वाराणसी अदालत का आदेश चार महिला याचिकाकर्ताओं द्वारा मस्जिद के सीलबंद हिस्से की खुदाई और सर्वेक्षण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के कुछ दिनों बाद आया है. हिंदू पक्ष के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)) की रिपोर्ट से पता चला है कि ज्ञानवापी स्थल पर मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था और 17 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था. हालांकि, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है.