दशकों तक बसपा, फिर भाजपा और दो साल सपा में रहने के बाद 70 साल के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है. पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) रखा है. उन्होंने दिल्ली में कार्यकर्ता समागम में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते भी खोल दिए हैं. तीन दिन पहले ही स्वामी प्रसाद ने सपा की प्राथमिक सदस्यता और एमएलसी पद से इस्तीफा दिया था. 

इससे पहले 13 फरवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद छोड़ दिया था और हाईकमान पर भेदभाव का आरोप लगाया था. स्वामी 20 साल बसपा में बड़े पदों पर रहे और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उसके बाद 2017 के चुनाव से पहले स्वामी ने पाला बदल लिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो स्वामी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. हालांकि, 5 साल बाद ही उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया और 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए थे.

सपा ने स्वामी प्रसाद को विधानसभा चुनाव में कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से टिकट दिया था. हालांकि वे 26 हजार वोटों से बीजेपी उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे. बाद में सपा ने स्वामी को एमएलसी बनाया और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी थी. दो साल बाद स्वामी ने सपा का साथ भी छोड़ दिया और नई पार्टी बना ली. स्वामी की बेटी संघमित्रा मौर्य बंदायू से बीजेपी सांसद हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब सपा छोड़ने का ऐलान किया तो उसका कारण भी बताया था. स्वामी प्रसार का कहना था कि अखिलेश यादव ‘समाजवादी विचारधारा’ के खिलाफ जा रहे हैं. उन्होंने ‘एक्स’ पर अखिलेश यादव को संबोधित अपना इस्तीफा पत्र भी पोस्ट किया था. स्वामी ने कहा, पार्टी छोड़ने का उनका कारण ‘अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के साथ वैचारिक मतभेद’ है. उन्होंने कहा, मैं स्वच्छ राजनीति में विश्वास करता हूं. मैंने अखिलेश यादव को देखा. वे समाजवादी विचारधारा के खिलाफ जा रहे थे. मेरे पास मुलायम सिंह यादव के साथ काम करने का अनुभव भी है. वो एक कट्टर समाजवादी नेता थे, जो लोग उनकी विरासत को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

मौर्य ने अखिलेश यादव की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, अखिलेश इतने धर्मनिरपेक्ष हैं कि उन्होंने कार्यालय परिसर में पूजा की. इससे बीजेपी को भी आश्चर्य हुआ होगा. दिवंगत मुलायम सिंह (समाजवादी पार्टी के संरक्षक) भी एक महान हनुमान भक्त थे, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया. 

वहीं, मौर्य के इस्तीफे पर समाजवादी पार्टी की नेता डिंपल यादव ने प्रतिक्रिया दी थी और कहा था, स्वामी प्रसाद जी चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल हुए और नहीं जीतने के बावजूद पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया और विधानसभा में भेजा. उन्होंने कहा, हम स्वामी प्रसाद मौर्य का पूरा सम्मान करते हैं. डिंपल यादव ने कहा, कुछ लोगों का पार्टी छोड़ना एक ‘सामान्य पहलू’ है. उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के जाने को ‘अवसरवादी’ बताते हुए आलोचना की थी.