
मोटी सैलरी और चमचमाती लाइफस्टाइल वाली नौकरी का लालच देकर धोखे से भारतीयों को रूस-यूक्रेन की जानलेवा जंग में शामिल कराया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर मामलों में रूस पहुंचने से पहले लोगों को यह नहीं बताया जाता कि उन्हें रूस-यूक्रेन जंग में भेजा जाएगा. रूस पहुंचने के बाद उनसे एक कॉन्ट्रेक्ट साइन कराया जाता है, जो की रूसी भाषा में होता है. कॉन्ट्रेक्ट में लिखा होता है कि वह रूसी सेना के साथ हेल्पर के तौर पर काम करेंगे, जिनसके बदले उन्हें हर महीने 2 लाख रुपए मिलेंगे.
यह गिरोह पर अब CBI की नजर में आ गया है. इसलिए धरपकड़ के लिए 7 मार्च को जांच एजेंसी ने दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै और चेन्नई में 13 ठिकानों पर छापेमारी की. न्यूज एजेंसी के मुताबिक अब तक ऐसे 35 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सोशल मीडिया चैनलों, परिचितों और एजेंटों के माध्यम से मोटी सैलरी वाली नौकरियों के झूठे वादे कर युवाओं को रूस ले जाया गया.
दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग में अब तक दो भारतीयों की मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं. इनमें से एक गुजरात के सूरत तो वहीं दूसरा तेलंगाना के हैदराबाद का रहने वाला था.
पहला केस सूरत के हेमिल अश्विन भाई मंगूकिया का है. इनकी जंग लड़ते हुए मौत हो गई थी. हेमिल रूस के लिए लड़ रहे थे. दावा है कि उनकी मौत यूक्रेन के एक मिसाइल अटैक में हुई. 23 साल के हेमिल रूस की सेना से बतौर ‘हेल्पर’ जुड़े थे. वहां उन्होंने 50 हजार रुपये महीने की सैलरी पर रखा गया था. हेमिल ने आखिरी बार 20 फरवरी को अपने परिवार से बात की थी.
दूसरा केस हैदराबाद के मोहम्मद असफान का है. अफसान के भाई इमरान ने बताया था,’अफसान 9 नवंबर को ‘बाबा व्लॉग’ (यू ट्यूब चैनल) के जरिए रूस गया था. वह एजेंट रमेश, नाजिल, मोइन और खुशप्रीत के कॉन्टेक्ट में था. रमेश और नाजिल चेन्नई के रहने वाले हैं, जबकि खुशप्रीत पंजाब का है. मैंने कुछ दिनों पहले इनसे पूछा तो इन्होंने मुझे बताया कि अफसान को गोली लगी है, वह घायल है.’
वीडियो जारी करने वालों ने दावा किया था कि रूस की आर्मी ने उनके सामने एक कॉन्ट्रैक्ट रखा. और कहा गया कि या तो कॉन्ट्रैक्ट साइन करो और आर्मी में हेल्पर की जॉब करो या फिर 10 साल की जेल होगी. उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था, इसलिए उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट साइन कर दिया. उन्होंने बताया,’हमें थोड़ी-बहुत ट्रेनिंग दी गई और यूक्रेन भेज दिया. हमारे साथ और भी लोग थे, जिन्हें फ्रंटलाइन में डाल दिया गया. हमसे भी कहा गया. हमें ठीक से बंदूक भी पकड़नी नहीं आती और हमें फ्रंटलाइन में डाला जा रहा है.’ बताया जा रहा है कि रूस में फंसे ज्यादातर भारतीय उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने 29 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि रूस में करीब 20 भारतीय नागरिकों ने भारत वापसी के लिए मदद मांगी है.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया था कि युद्धग्रस्त इलाकों से भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए भारत और रूसी अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है. उन्होंने बताया था कि रूसी सेना की मदद कर रहे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द ‘डिस्चार्ज’ करने को लेकर रूस के अधिकारियों से भी बात की है. उन्होंने लोगों से युद्धग्रस्त इलाकों में न जाने की अपील भी की.