
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्यभर में आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं के बढ़ते खतरे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं. खबरों पर लिए गए संज्ञान के बाद न्यायमित्र की रिपोर्ट पर सरकार को जवाब देने के लिए समय देते हुए जरूरी निर्देश जारी किए गए. जस्टिस कुलदीप माथुर व जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ के समक्ष न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य, अधिवक्ता प्रियंका बोराना और अधिवक्ता हेली पाठक ने पक्ष रखा.
न्यायमित्र ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना नगर निगमों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य संबंधित एजेंसियों का वैधानिक दायित्व है. वैधानिक दायित्व होने के बावजूद संबंधित अधिकारियों की घोर लापरवाही और कर्तव्यों के पालन न करने के कारण, आवारा पशुओं द्वारा हमले और काटने की घटनाओं में कई गुना वृद्धि हुई है और इससे न केवल राज्य में मानव जीवन को खतरा पैदा हो रहा है, बल्कि राज्य की छवि भी खराब हो रही है, जहां न केवल पूरे देश से, बल्कि दुनियाभर के विभिन्न देशों से भी पर्यटक आते हैं.
एम्स जोधपुर ने 10 अगस्त को न्यायमित्र अधिवक्ता प्रियंका बोराना को पत्र भेजकर अपने परिसर में आवारा कुत्तों की समस्या और मरीजों एवं स्टाफ पर हमलों की घटनाओं की जानकारी दी थी, जिसे कोर्ट ने संज्ञान में लिया. सुनवाई के बाद राज्य सरकार और निकायों को समय देते हुए हाईकोर्ट ने जरूरी निर्देश जारी किए है. जिसमें डॉग शेल्टर और गौशालाओं की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट: नगर निगमों को अगली सुनवाई तक पेश करनी होगी. मैनपावर और स्टाफ विवरण: पशु पकड़ने वाले दल, डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की जानकारी कोर्ट को दी जाएगी. कार्य में बाधा डालने वालों पर संबंधित कानून के तहत एफआईआर दर्ज की जा सकेगी.