
भारत के चीफ जस्टिस ने बुधवार को अपनी बेंच के समक्ष आवारा कुत्तों की नियमित नसबंदी और टीकाकरण की मांग वाली एक याचिका का जिक्र होने पर कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार करेंगे. हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि चीफ जस्टिस 2024 की याचिका के बारे में बात कर रहे थे या हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का, जिस पर पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
बुधवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई की कोर्ट में 2024 की एक याचिका का जिक्र किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में नगर निगम अधिकारी नियमित रूप से नसबंदी नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से कुत्तों के द्वारा हमलों के मामले बढ़ रहे हैं. इस मामले में जुलाई 2024 में एक नोटिस जारी किया गया था.
इस पर, चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही एक आदेश पारित किया जा चुका है, जिसमें उन्होंने हाल ही में दिए गए उस फैसले का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों को आठ हफ्ते के अंदर दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय गृहों में भेजने का निर्देश दिया था.
चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस पर विचार करेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इसे सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया है. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने पहले इस मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित निकायों को नोटिस जारी किया था.