बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध का दोषी करार दिया है. तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने इस मामले में शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है. जस्टिस गुलाम मुर्तजा की अगुवाई वाली तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला छह पार्ट में सुनाया, जो 400 पेज में है.
जस्टिस मुर्तजा की अगुवाई वाली ट्रिब्यूनल में जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक एनाम चौधरी भी हैं. ट्रिब्यूनल ने एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी मौत तक जेल में रखने का भी फैसला दिया. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि हमने मानवाधिकार संगठन और अन्य संगठनों की कई रिपोर्ट्स पर विचार किया है. हमने क्रूरताओं का विवरण भी दिया है. शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए.
जज ने जांच रिपोर्ट के हवाले से बताया कि शेख हसीना की सरकार ने अबू सैयद के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को चार से पांच बार बदलवाया. अबू सैयद 16 जुलाई 2024 को पुलिस फायरिंग के दौरान मारा गया था. उसकी मौत ने छात्र-नेतृत्व वाले विरोध को और बल दिया, जो शेख हसीना सरकार को हटाने की मांग कर रहे थे. जज ने बताया कि सरकार ने डॉक्टर को धमकाया और कहा कि उनके खिलाफ इंटेलिजेंस रिपोर्ट है, जिससे डॉक्टर को अबू सैयद की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने के लिए मजबूर किया गया.
ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए हैं. शेख हसीना ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हेलीकॉप्टर से बम गिराने के आदेश दिए थे. ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि अवामी लीग के कार्यकर्ता कथित रूप से सड़कों पर उतर आए और पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी में सुनियोजित हमले किए.
