अमरोहा। दिल्ली किसान आंदोलन के पांच साल बीत जाने पर लंबित मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश(अमरोहा) के औद्योगिक क्षेत्र गजरौला में किसानों, खेतीहर मजदूरों ने अलग-अलग धरना प्रदर्शन किया।भाकियू (संयुक्त मोर्चा) और खेतीहर मजदूरों के आह्वान पर प्रस्तावित बुधवार को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले पर (सी2 50%)न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)की कानूनी गारंटी , पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी, बिजली संशोधन बिल रद्द किया जाने, बिजली निजीकरण और स्मार्ट मीटर पर रोक लगाने तथा ऋण माफ़ी, किसानों पर दर्ज़ मुकदमे वापस लेने की मांग को लेकर औद्योगिक क्षेत्र गजरौला में धरना प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि कृषि क्षेत्र व कृषि उत्पाद विपणन में सुधार के नाम पर वर्ष 2020 में लाए गए तीन कृषि कानूनों, जिनके विरोध में देश के किसानों द्वारा एक साल से ज्यादा समय तक दिल्ली की घेराबंदी की गई थी। जिसके बाद 19 नवंबर 2021 को राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 और कृषक ( सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार अधिनियम 2020 को वापस लेने की घोषणा की थी।
नरेश चौधरी ने कहा कि किसानों ने उस वक्त तीन कानूनों का यह कहते हुए विरोध किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को समाप्त कर किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों व निगमों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
किसान नेता ने आगे कहा कि यह कोई पहला उदाहरण नहीं है,जब केंद्र में 2014 से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भाजपा सरकार ने तीन कृषि कानूनों से लेकर अन्य कई फैसलों को रद्द करने या संशोधित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। आगे भी ऐसा होगा यह अभी कहा नहीं जा सकता है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि पांच साल बीत गए लेकिन अभी तक किसानों से किया एक भी वादा पूरा नहीं किया। जबकि आज़ देश का किसान कर्ज में डूबा हुआ है, हररोज आत्महत्या कर रहा है।
नरेश चौधरी ने केंद्र सरकार से मांग की कि स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले(सी2 50%) के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी तय हो, किसानों और खेत मजदूरों का सरकारी और गैर-सरकारी कर्ज़ा माफ़ हो, बिजली संशोधन बिल को रद्द किया जाए, बिजली क्षेत्र के निजीकरण और स्मार्ट मीटर पर रोक लगाई जाए, देश के अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों पर दर्ज़ मुकदमे वापस हों, और राज्यों में असली डीएपी खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने दोहराया कि दिल्ली धरना प्रदर्शन के दौरान 700 शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। बुधवार 26 नवंबर पर जो धरना प्रदर्शन किया गया है,वह सिर्फ शुरुआत है।अगर सरकार ने अब भी वादे पूरे नहीं किए तो आने वाला समय और बड़ा आंदोलन देखेगा।
